रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मालविंदर सिंह को धोखाधड़ी के एक और मामले में किया गिरफ्तार
मालविंदर मोहन सिंह और उनके भाई शिविंदर मोहन सिंह पहले से धोखाधड़ी के केस में गिरफ्तार हो चुके हैं
नई दिल्ली:
रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मालविंदर मोहन सिंह (47) को धोखाधड़ी के एक और मामले में मंगलवार को फिर से औपचारिक गिरफ्तारी की गई है. मालविंदर मोहन सिंह और उनके भाई शिविंदर मोहन सिंह पहले से धोखाधड़ी के केस में गिरफ्तार हो चुके हैं और न्यायिक हिरासत में सलाखों के पीछे हैं. वहीं इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और रेलीगेयर के पूर्व सीएमडी सुनील गोडवानी को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (RFL) के फंड गबन मामले में गिरफ्तार किया था. आरोप था कि इन्होंने गलत तरीके से फंड की गड़बड़ी की थी.
फोर्टिस हेल्थकेयर (Fortis Healtcare) और दवा कंपनी रैनबैक्सी (Ranbaxy) के पूर्व प्रमोटर मलविंदर मोहन सिंह (Malvinder Mohan Singh) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (Relagare Enterprises) के पूर्व सीएमडी सुनील गोडवानी (Sunil Godhwani) की भी गिरफ्तारी हुई थी. प्रवर्तन निदेशलाय ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) घोटाला मामले में ये कार्रवाई की थी.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रैनबैक्सी (Ranbaxy) के पूर्व प्रमोटरों मालविंदर सिंह (Malvinder Singh) और शिविंदर सिंह (Shivinder Singh) को जापानी फर्म दाइची सैंक्यो द्वारा दायर किए गए मामले में अवमानना का दोषी करार दिया था. इन दोनों ने फोर्टिस हेल्थकेयर में अपने शेयर नहीं बेचने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया था. शीर्ष अदालत ने इससे पहले सिंह बंधुओं से उनकी योजना के बारे में पूछा था कि वे जापान की औषधि निर्माता कंपनी दायची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे करेंगे.
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सिंगापुर के एक न्यायाधिकरण ने सिंह बंधुओं को दाइची सैंक्यो को चार हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने का फैसला सुनाया था. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं. पीठ ने कहा कि सिंह बंधुओं ने उसके पहले के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसमें उन्हें फोर्टिस समूह के अपने नियंत्रण वाले शेयरों की बिक्री मलेशियाई कंपनी आईएचएच हेल्थकेयर को नहीं करने के लिए कहा गया था.
यह है मामला
रेलिगेयर ग्रुप को कुल 3,000 करोड़ रुपए की चपत लगाने में मलविंदर मोहन सिंह (एमएमएस) और शिविंदर मोहन सिंह (एसएमएस) की मुख्य भूमिका थी. कंपनी से पहले के बकाये के तौर पर जिस दिन भुगतान प्राप्त किया गया, उसी दिन उसी कंपनी को उतनी ही राशि या उससे अधिक राशि दी गई. कुछ मामले में बहीखाते की प्रविष्टियां पूर्व की तारीखों में की गई, जबकि दोबारा भुगतान उसी दिन या एक से दो दिन के अंतराल में किया गया, जब उसी कंपनी को या कुछ अन्य कंपनियों को पैसे दिए गए.
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