आर्थिक विकास दर में गिरावट पर मनमोहन सिंह बोले- अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक

आपको बता दें कि साल 2013 में देश की जीडीपी 4.3 प्रतिशत तक रही थी. पिछले 26 तिमाही में सबसे निचले स्तर पर पहुंची जीडीपी

author-image
Sushil Kumar
एडिट
New Update
आर्थिक विकास दर में गिरावट पर मनमोहन सिंह बोले- अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह( Photo Credit : ANI)

देश की आर्थिक विकास दर में सितंबर तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है. जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.5 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले इस समय आर्थिक विकास दर 7 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बुनियादी उद्योगों (Core Sector) का उत्पादन अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत गिरा. इस आर्थिक मंदी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है, लेकिन मैं तर्क देना चाहूंगा कि कैसे हमारे समाज की स्थिति अभी भी और चिंताजनक है.

Advertisment

आज कोई भी ऐसा नहीं है जो भारत की अर्थव्यवस्था में तेज मंदी और इसके विनाशकारी परिणामों से इनकार कर सकता है. विशेष रूप से हमारे किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए. आज पहले जारी किए गए जीडीपी के आंकड़े चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर को इंगित करते हैं, जो 4.5% के बराबर है. जो बिल्कुल स्वीकार नहीं है. भारत की आकांक्षा 8-9% पर एनम की है. 

इस तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था पिछले सात सालों में सबसे नीचे पहु्ंची. आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार लगातार गोते लगा रही है. देश की अर्थव्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है. साल 2019-20 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितम्बर के जीडीपी के आंकड़ों में पहली तिमाही में देश की जीडीपी 5 फीसदी थी. 26 सप्ताह में जीडीपी के आंकड़े सबसे निचले स्तर 4.5 तक जा पहुंचे हैं. आपको बता दें कि साल 2013 में देश की जीडीपी 4.3 प्रतिशत तक रही थी. पिछले 26 तिमाही में सबसे निचले स्तर पर पहुंची जीडीपी.

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि आज जारी जीडीपी के आंकड़े 4.5% तक कम हैं. यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है. हमारे देश की आकांक्षा 8-9% की दर से बढ़ना है. सकल घरेलू उत्पाद का 5% से 4.5% तक की तीव्र गिरावट चिंताजनक है. आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी.
उन्होंने कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूदा भय को अपनी अर्थव्यवस्था में 8% प्रति वर्ष से अधिक बढ़ने के लिए आत्मविश्वास से एक में बदलने की आवश्यकता है. अर्थव्यवस्था की स्थिति अपने समाज की स्थिति का प्रतिबिंब है. विश्वास और विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब फट गया है और टूट गया है.

देश की विकास दर में बड़ी गिरावट आई है दूसरी तिमाही में विकास दर में गिरावट विकास दर 5.0 से घटकर 4.5 प्रतिशत पहुंची. वहीं पहली तिमाही में विकास दर 5.0 प्रतिशत थी. अप्रैल-अक्टूबर 2019 में वित्तीय घाटा 6.48 लाख करोड़ था यह बढ़कर अब 7.20 लाख करोड़ हो गया है. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर केंद्र की मोदी सरकार के तमाम दावे और तरकीबें नाकाम साबित हुई हैं. देश के आठ प्रमुख उद्योगों का विकास दर में गिरावट आई है पिछले साल यानि कि अक्टूबर 2018 के मुकाबले अक्टूबर 2019 में ग्रोथ रेट गिरकर 5.8 आ गया है. वहीं सितंबर में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी था.

आपको बता दें कि वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने पहले ही आंकलन किया था कि जुलाई-सितंबर तिमाही तिमाही के दो महीनों में कोर सेक्टर और आईआईपी की हालत बेहद खराब रही, जिसका असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर नजर आएगा. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर केवल 4.2 फीसदी आंकी थी.

Ex PM Manmohan Singh economy Economic Growth GDP
      
Advertisment