logo-image

कोरोना की चपेट में आए पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, एम्स में भर्ती

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए हैं. सोमवार को मनमोहन सिंह की तबीयत खराब हुई और कोविड के लक्षण दिखाई दिए जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए आल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (AIIMS) में भर्ती करवाया गया है.

Updated on: 19 Apr 2021, 07:21 PM

highlights

  • पूर्व पीएम मनमोहन भी कोरोना की जद में
  • कोरोना इन्फेक्टेड होने के बाद एम्स में भर्ती
  • कोविड को लेकर पीएम मोदी को लिखा था पत्र

नयी दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए हैं. सोमवार को मनमोहन सिंह की तबीयत खराब हुई और कोविड के लक्षण दिखाई दिए जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए आल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (AIIMS) में भर्ती करवाया गया है. कोरोना संक्रमित होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री को दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया है. आपको बता दें कि इसके पहले रविवार को ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था. 

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके उनके स्वास्थ्य की कामना की है. कमलनाथ ने ट्वीट करके लिखा, देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के अस्वस्थ होने की जानकारी मिली। ईश्वर से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कहा था कि, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मैं रचनात्मक सहयोग की भावना से आपके विचार के लिए उन्हें आगे रख रहा हूं, जिसमें मैंने हमेशा विश्वास किया है और उन पर अमल किया है. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने सुझावों में कहा कि सरकार को यह प्रचारित करना चाहिए कि विभिन्न वैक्सीन उत्पादकों को खुराकों के लिए क्या ठोस आदेश हैं और अगले छह महीनों में वितरण के लिए कितने स्वीकार किए जाने हैं और सरकार को यह बताना चाहिए कि पारदर्शी फार्मूले के आधार पर राज्यों में अपेक्षित आपूर्ति का वितरण कैसे किया जाएगा.

यह भी पढ़ेंःमनमोहन का पीएम मोदी को सुझाव, कोविड से लड़ने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा था, केंद्र सरकार आपात जरूरतों के आधार पर वितरण के लिए 10 प्रतिशत रख सकती है, लेकिन इसके अलावा, राज्यों के पास संभावित उपलब्धता का स्पष्ट संकेत होना चाहिए, ताकि वे अपने हिसाब से वितरण की योजना बना सकें. मनमोहन सिंह ने कहा कि टीकाकरण में राज्यों को अग्रिम पंक्ति के कामगारों की श्रेणियों को परिभाषित करने के लिए कुछ लचीलापन दिया जाना चाहिए, ताकि 45 वर्ष से कम आयु के होने पर भी टीका लगाया जा सके. सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों और मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण की बदौलत भारत दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है.

यह भी पढ़ेंःअस्पतालों की स्थिति दयनीय: एलएनजेपी में एंबुलेंस में भरे पड़े हैं शव

यह क्षमता काफी हद तक निजी क्षेत्र में है. सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के इस क्षण में, भारत सरकार को धन और अन्य रियायतें प्रदान करके अपनी विनिर्माण सुविधाओं का शीघ्रता से विस्तार करने के लिए वैक्सीन उत्पादकों का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यह समय कानून में अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने का है, ताकि कई कंपनियां एक लाइसेंस के तहत टीकों का उत्पादन कर सकें. चूंकि घरेलू आपूर्ति सीमित है, किसी भी टीका है कि यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी या यूएसएफडीए जैसे विश्वसनीय अधिकारियों द्वारा उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है, तब घरेलू ब्रिजिंग परीक्षणों पर जोर दिए बिना आयात करने की अनुमति दी जानी चाहिए.