पूर्व विधायक रघुराज सिंह कनसाना के खिलाफ 11 साल पुराना केस वापस लेने संबंधी मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को एक विशेष कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
राज्य का गृह विभाग ग्वालियर के भाजपा नेता के खिलाफ 2012 में दायर इस मामले को वापस लेने के लिए पिछले सप्ताह सहमत हुआ था। कनसाना के खिलाफ हत्या के प्रयास, सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने और उसे जानबूझकर घायल करने तथा डकैती का आरोप है।
मामले की सुनवाई करते हुए ग्वालियर जिला कोर्ट के विशेष जज सुशील कुमार जोशी ने कहा कि पूर्व विधायक पर अपराधियों को पुलिस हिरासत से रिहा कराने समेत काफी गंभीर आरोप हैं।
अदालन के आदेश की कॉपी आईएएनएस के पास उपलब्ध है। इसमें कहा गया है, मामले की सुनवाई अंतिम चरण में है, इसलिए इसे वापस लेने की अनुमति देना न तो कानून के हित में होगा, न ही जनता के।
कनसाना, जो उस समय कांग्रेस में थे, मई 2012 में मोरेना पंचायत के अध्यक्ष थे। दिल्ली पुलिस की एक टीम दिल्ली की एक अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट पर उनके भाई संजीव सिंह कनसाना को गिरफ्तार करने पहुंची थी।
जब दिल्ली पुलिस संजीव को गिरफ्तार कर मोरेना सिटी कोतवाली पहुंची तो रघुराज सिंह कनसाना ने अपने साथियों के साथ मिलकर उसे जबरन छुड़ा लिया और पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी।
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में रघुराज सिंह कनसाना और उनके साथियों पर आईपीसी की धारा 307,186, 332, 224, 225, 398 और एमपी डकैती एवं अपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
मध्य प्रदेश सरकार पहले भी पूर्व विधायक कनसाना पर से केस वापस लेने का प्रयास कर चुकी है।
जब 2018 में कनसाना कांग्रेस की टिकट पर मोरेना सीट से विधायक चुने गए थे तो तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने केस वापस लेने का प्रस्ताव किया था, हालांकि राज्य के गृह विभाग ने 2020 में इस पर अपनी असहमति जताई थी।
इसके कुछ ही महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने 22 समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाने से सरकार पलट गई। उन विधायकों में रघुराज सिंह कनसाना भी शामिल थे।
जिला अदालत में मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
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Source : IANS