आजाद भारत की 6ठीं और अब तक की इकलौती महिला प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गांधी की आज 100वीं जन्मतिथि है। इस मौके पर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी को ट्वीट करके श्रद्धांजलि दी है। इस मौके पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राजघाट स्थित शक्ति स्थल पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बता दें कि इतिहास में आयरन लेडी के नाम से दर्ज इंदिरा गांधी का जीवन बहुत ही विषम परिस्थितियों से भरा रहा है। इन विपरीत परिस्थितियों में उनके लिए गए फैसलों की वजह से ही वह सबसे कद्दावर राजनेता बनीं।
बता दें कि उस वक्त जब वे राजनीति में अपने करिअर की शुरूआत कर रहीं थीं तब लोकसभा में अपने शांत व्यवहार के लिए उन्हें राम मनोहर लोहिया ने 'गूंगी गुड़िया' कहना शुरू किया था। बाद में उनके फैसलों ने उनकी पहचान एक आयरन लेडी के रूप में सबके सामने रखी।
इंदिरा गांधी की 100वीं जन्मतिथि पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनके जीवन के महत्वपूर्ण फैसले-
और पढ़ें: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा, इंदिरा गांधी इस देश में सबसे स्वीकार्य प्रधानमंत्री हैं
गरीबी हटाओ का नारा दिया
1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी ने देश के गरीबों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया था।
परमाणु परीक्षण कर दुनिया को दिखाई ताकत
इंदिरा गांधी ने सबसे पहले 18 मई 1974 को पूरी दुनिया के दबाव के बावजूद परमाणु परीक्षण करवाया था। इससे पूरी दुनिया में भारत एक परमाणु शक्ति के रूप में सबसे पहले सामने आया था।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया
इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। इस कदम से देश में बड़े और अमीर लोगों के साथ-साथ बैंकिंग सुविधाएं कमजोर वर्ग के लोगों के लिए भी मिलने लगी थी।
और पढ़ें: फिदेल कास्त्रो ने इंदिरा गांधी को लगाया था गले
इमरजेंसी के कदम से हुई आलोचना
26 जून 1975 को भारत में 21 महीने की अवधि के लिए तत्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने भारत में आपातकाल घोषित किया था। हालांकि इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी की पूरे देश में आलोचना हुई थी। इस दौरान कई नेताओं को जेल में डाला दिया गया था। समचार पत्रों पर भी इस दौरान पैनी नजर रखी जा रही थी।
बनाई नई पार्टी
1969 में राष्ट्रपति चुनाव की उस वक्त नौबत आ गई जब तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद कांग्रेस ने नीलम संजीव रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया था। जो कि इंदिरा को रास नहीं आया और उन्होंने अपनी ओर से सिंडिकेट के खिलाफ जाकर वीवी गिरी को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया। इस दौरान इंदिरा गांधी ने लोगों से अपनी 'अंतर आत्मा की आवाज' पर वोट देने को कहा था। इस चुनाव के बाद ही कांग्रेस दो भागों में टूट गई थी।
और पढ़ें: PM मोदी ने कहा, इंदिरा गांधी ने की होती नोटबंदी तो हमें जरूरत नहीं पड़ती
बांग्लादेश को समर्थन दिया
पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) पर उर्दू भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में थोपना चाहता था, लेकिन वहां के लोग बंगाली भाषा को प्राथमिकता दे रहे थे। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान की बढ़ती क्रूरता की वजह से इंदिरा गांधी को यहां हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद यहां भारतीय सैनिकों को भेजा गया था। यहां पर करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया गया। इसके बाद भारत ने बांग्लादेश को अंतरिम मान्यता दे दी।
Source : News Nation Bureau