शंकर प्रसाद जायसवाल ने चंदा जुटाकर लड़ा था लोकसभा चुनाव, जनता ने नोट से साथ दिल खोलकर दिया था वोट
स्वतंत्र भारत में वाराणसी से पहले सांसद रहे रघुनाथ सिंह के बाद बीजेपी नेता शंकर प्रसाद जायसवाल ही ऐसे नेता रहे, जिन्हें काशी की जनता ने लगातार तीन बार चुनकर संसद में पहुंचाया.
highlights
- काशी से तीन बार सांसद बने जायसवाल
- एक चुनाव चंदे से इकट्ठे धने से जीता
- यूपी विधानसभा के सदस्य भी रहे
वाराणसी:
शंकर प्रसाद जायसवाल भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे. स्वतंत्र भारत में वाराणसी से पहले सांसद रहे रघुनाथ सिंह के बाद बीजेपी नेता शंकर प्रसाद जायसवाल ही ऐसे नेता रहे, जिन्हें काशी की जनता ने लगातार तीन बार चुनकर संसद में पहुंचाया. वह लगातार तीन बार 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा में वाराणसी से सांसद निर्वाचित हुए. लोगों के बीच शंकर प्रसाद जायसवाल का प्रभाव था. उन्होंने जनता के दिल में जगह बना रखी थी. एक चुनाव में तो शंकर प्रसाद जायसवाल चंदे के धन से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. उन्होंने 1999 में चंदा जुटाकर चुनाव लड़ा और जनता ने वोट भी दिल खोलकर उन्हें दिया था. राजनीति में प्रवेश करने से पहले वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थे.
शंकर प्रसाद जायसवाल का निजी जीवन
शंकर प्रसाद जायसवाल का जन्म 9 अगस्त 1932 में वाराणसी में हुआ था. उनके पिता का नाम रघुनाथ प्रसाद जायसवाल था. उनकी सर्वोच्च शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक की डिग्री है. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थे. 9 अगस्त 1953 में उनकी शादी सावित्री देवी के साथ हुई. दोनों की 4 संतानें हैं, जिनमें एक बेटा और 3 बेटियां हैं. शंकर प्रसाद को जेल भी जाना पड़ा था. देश में आपातकाल लागू होने पर उन्हें गिरफ्तार कर लंबे समय तक जेल में रखा गया था. 83 साल की उम्र में शंकर प्रसाद जायसवाल का निधन हुआ था. लंबे समय तक बीमार रहने के बाद 3 जनवरी 2016 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी.
शंकर प्रसाद जायसवाल का राजनीतिक करियर
शंकर प्रसाद जायसवाल करीब 25 साल की उम्र में ही राजनीति में आ गए थे. जायसवाल ने अपना सार्वजनिक जीवन जनसंघ से जुड़कर शुरू किया. उन्होंने पार्षद के तौर पर राजनीति में कदम रखा था. 1959 में महज 27 वर्ष की उम्र में वह वाराणसी नगर निगम में सभासद चुने गए. बाद में वह भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता और फिर नेता के तौर उभरे. वह वर्ष 1969 से 1974 तक वाराणसी शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र के सदस्य रहे. 1977 से 80 तक वह फाइनेंस कमेटी के सदस्य रहे. 1992-94 तक उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के महासचिव की जिम्मेदारी निभाई.
शंकर प्रसाद जायसवाल को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का करीबी माना जाता था. 1996 में वाराणसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट दिया था. उस चुनाव में जायसवाल को जीत मिली. इसके बाद 1998 और 1999 में वाराणसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए और 2004 तक सांसद रहे. । 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राजेश मिश्रा के हाथों शंकर प्रसाद जायसवाल को शिकस्त मिली थी. हालांकि बाद में वह केंद्र सरकार की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे.
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