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झारखंड: डेढ़ दशक पहले उजड़ चुका जंगल ग्रामीणों के संकल्प से हुआ पुनर्जीवित

झारखंड: डेढ़ दशक पहले उजड़ चुका जंगल ग्रामीणों के संकल्प से हुआ पुनर्जीवित

Updated on: 11 May 2022, 07:35 PM

रांची:

हजारीबाग के जगदीशपुर नामक गांव में लगभग डेढ़ दशक पहले उजड़ गया एक जंगल ग्रामीणों के सामूहिक संकल्प की बदौलत पुनर्जीवित हो उठा है। वन विभाग ने अफसरों ने भी ग्रामीणों का सहयोग किया है।

हजारीबाग शहर के पास कनहरी नामक एक बेहद रमणिक पहाड़ी है। ब्रिटिश हुकूमत के वक्त से ही यह पहाड़ी और उसके पास-पास का इलाका पर्यटकों और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। जगदीशपुर जंगल इसी पहाड़ी की तराई में स्थित है। एक दौर में यह जंगल इतना घना था कि यहां शेर, बाघ, हिरण जैसे जानवर विचरण करते दिख जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे शहर का फैलाव हुआ, जंगल कटता-सिमटता चला गया। आबादी बढ़ने के साथ इलाके में आवागमन बढ़ा और जंगल से होकर गांवों की ओर जाने के लिए रास्ते बन गये। दतवन और जलावन के नाम पर साल-सखुआ के पेड़ कटते गये। जंगली जानवर तो नहीं बचे, वर्ष 2004-05 के आसपास जंगल का वजूद भी लगभग खत्म हो गया। जंगल के नाम पर गिनती के पेड़ और झाड़ियां रह गयी थीं।

कुछ सजग ग्रामीणों और वन विभाग के अफसरों ने वर्ष 2008 में प्रयास शुरू किया कि बचे हुए पेड़ न कटें और नये सिरे से पेड़ लगाये जायें। जगदीशपुर के ग्रामीण बताते हैं कि इलाके के तत्कालीन डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) महेंद्र प्रसाद ने कई बार गांव आये। गांव के लोग एक साथ बैठे। सबने मिलकर संकल्प लिया कि जंगल से कोई भी व्यक्ति पेड़ नहीं काटेगा। जंगल को साफ कर जो रास्ता बन गया था, उसे बंद करने का फैसला हुआ। वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति गठित की गयी। लोगों ने श्रमदान कर नये पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदे। वन विभाग की ओर से पौधे उपलब्ध कराये गये।वन प्रबंधन समिति ने इनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाला। यहां तक कि जंगल से दतवन और पत्ते तोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। लोगों की मेहनत और जंगल बचाने को लेकर बनाये गये नियमों को लेकर अनुशासन का सुखद परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगा। अवैध कटाई से ठूंठ बने पेड़ों में जान लौटने लगी।

वन प्रबंधन और संरक्षण समिति जगदीशपुर के अध्यक्ष गोपाल सिंह ने बताया कि पिछले पांच-छह साल से यहां वनों की सुरक्षा के लिए रक्षा बंधन उत्सव के आयोजन का सिलसिला चल रहा है। लोग पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर संकल्प को मजबूती देते हैं। हजारों पौधे अब पेड़ में बदल गये हैं। साल, सखुआ, सागवान, अकेशिया के हजारों पेड़10 से 15 फीट ऊंचे हो गये हैं। हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार प्रसन्न मिश्र कहते हैं कि जगदीशपुर के जंगल में लौटी हरियाली ने कनहरी और आस-पास के इलाकों की दशकों पुरानी खूबसूरती लौटा दी है।

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