विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि भारत ने 150 देशों को दवाएं और 72 देशों को भेजी वैक्सीन
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत 72 देशों जैसे मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ-साथ मॉरीशस और खाड़ी देशों को वैक्सीन दी गई.
highlights
- विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में कहा
- भारत ने डेढ़ सौ देशों को पीपीई किट समेत विभिन्न दवाओं की आपूर्ति की
- हमारा देश पूरी दुनिया के लिए दवा देने वाला देश बन गया है
नई दिल्ली :
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि महामारी के दौरान भारत ने डेढ़ सौ देशों को पीपीई किट समेत विभिन्न दवाओं की आपूर्ति की. इसके साथ ही हमारा देश पूरी दुनिया के लिए दवा देने वाला देश बन गया है. जयशंकर ने कहा, भारत अब दुनिया भर में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन, पेरासिटामोल और अन्य दवाओं की जरूरत पूरा कर सकता है. हमने 150 देशों को दवाएं भेजी हैं, जिनमें से 82 को तो भारत ने मदद के तौर पर दवाएं दी हैं. मास्क, पीपीई किट और डायग्नोस्टिक किट्स का उत्पादन जिस तरह बढ़ा, उसे हमने दूसरे देशों को भी उपलब्ध कराया.
विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत 72 देशों जैसे मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ-साथ मॉरीशस और खाड़ी देशों को वैक्सीन दी गई. उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति की झलक दिखाता हमारा विजन वंदे भारत मिशन में भी नजर आया. तभी तो वुहान से लेकर कई देशों से हम अपने और दूसरे नागरिकों को भी वापस लाए. इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की प्रशंसा भी की.
एस.जयशंकर ने कहा कि घरेलू टीकाकरण कार्यक्रम जनवरी 2021 में शुरू हुआ और उसके कुछ ही दिनों बाद भारत ने निकटवर्ती पड़ोसियों की सहायता करना भी शुरू कर दिया था.
बता दें कि देश में कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के 1 साल 2 महीने बाद पहले तो मामलों में खासी गिरावट आई, लेकिन अब एक बार महामारी फिर से सिर उठा रही है. पहले तो ऐसा लगा कि कोरोना संक्रमण केवल महाराष्ट्र और पंजाब में बढ़ रहा है, क्योंकि इन 2 राज्यों से ही सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे थे. जबकि आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना दर्ज हो रहे मामलों में से करीब 85 फीसदी मामले 8 राज्यों के हैं. जाहिर है यह स्थिति भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के आने के मजबूत संकेत दे रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि मामलों में बढ़ोतरी मार्च में शुरू हुई, जबकि उसके 2 महीने पहले पूरे देश में मामलों में गिरावट आनी शुरू हुई थी.
आंकड़ों से पता चलता है कि केवल मार्च के दूसरे हफ्ते में ही देश में 1 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं और यह साफ तौर पर दूसरी लहर के आने का संकेत है. इसी समय से करीब एक साल पहले मार्च 2020 में पूरा देश लॉकडाउन में गया था. दैनिक मामलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो मंगलवार को देश में 28,903 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 17,864 मामले केवल महाराष्ट्र के थे, जो कि कुल मामलों का 60 फीसदी से ज्यादा थी.
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