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विधायी निकायों के लिए ‘एक राष्ट्र, एक नियम एवं प्रक्रिया’ होः ओम बिरला

कानून बनाने वाली संस्थाओं के कामकाज में बदलाव लाया जाना चाहिए ताकि वे लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के वाहक बनें.

Updated on: 18 Nov 2021, 07:03 AM

highlights

  • विधायी निकायों के कामकाज को बेहतर एवं जवाबदेह बनाएं
  • संस्थाओं की गरिमा एवं प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने की जरूरत
  • सभी राजनीतिक दल विचार-विमर्श कर निर्णायक कदम उठाएं

शिमला:

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश में विधायी निकायों के कामकाज को बेहतर एवं जवाबदेह बनाने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक तरह के नियम एवं प्रक्रियाओं’ का विचार रखा. लोकसभा अध्यक्ष ने विधायी निकायों की बैठकों की संख्या में कमी और कानून बनाते समय चर्चा के अभाव की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन संस्थाओं की प्रतिष्ठा और गरिमा को बढ़ाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करके कुछ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है. बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से विधायी निकायों के नियमों एवं प्रक्रियाओं की समीक्षा करने को कहा ताकि लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की जा सके.

बने मॉडल दस्तावेज
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे बिरला ने कहा कि सभी विधायी निकायों में कानूनों एवं प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने के लिये मॉडल दस्तावेज बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘विधायी निकायों की बैठकों की संख्या में कमी और कानून बनाते समय चर्चा का अभाव हमारे लिये चिंता का विषय है. इसलिये आजादी के अमृत महोत्सव पर सामूहिक संकल्प के साथ हमें एक मॉडल दस्तावेज तैयार करना चाहिए ताकि जब हमारी आजादी के 100 वर्ष पूरे हों, तब सभी विधायी निकायों में नियमों एवं प्रक्रियाओं में एकरूपता हो और उनका कामकाज लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने वाला हो.’

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सभी राजनीतिक दल आएं साथ
बिरला ने पीठासीन पदाधिकारियों के सम्मेलन के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विधायी निकायों के कामकाज की समीक्षा करने की जरूरत बतायी और कहा, ‘हमें सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद कुछ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है ताकि इन संस्थाओं की गरिमा एवं प्रतिष्ठा को बेहतर बनाया जा सके.’ लोकसभा अध्यक्ष ने विधायी निकायों के नियमों एवं प्रक्रियाओं में बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि कानून बनाने वाली संस्थाओं के कामकाज में बदलाव लाया जाना चाहिए ताकि वे लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने के वाहक बनें और देश में लोकतंत्र और मजबूत हो सके.