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गजब का फ्लोर मैनेजमेंट : तीन तलाक विधेयक का विरोध कर रहे सांसदों ने ऐसे दिया सरकार का साथ

TRS के 6, TDP के दो और बीएसपी के चार सांसदों ने मतदान का बहिष्कार कर सरकार का काम आसान कर दिया. रही-सही कसर विपक्ष के कई अनुपस्थित सांसदों ने पूरी कर दी.

Updated on: 31 Jul 2019, 11:23 AM

highlights

  • TRS के 6, TDP के दो और बीएसपी के चार सांसदों ने किया वॉक आउट
  • कांग्रेस के 48 में से 3 सांसद अनुपस्थित, संजय सिंह ने इस्‍तीफा दे दिया था
  • NCP के कुल 4 सांसदों में से खुद शरद पवार व प्रफ्फुल पटेल अनुपस्थित थे

नई दिल्‍ली:

तीन तलाक बिल अब संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है. लोकसभा में तो यह बिल पहले ही पास हो चुका था, लेकिन राज्‍यसभा में इस बिल के अटकने का अंदेशा था. हालांकि सरकार के मंत्रियों और सांसदों के फ्लोर मैनेजमेंट ने गजब का कमाल दिखाते हुए विधेयक पर ऊपरी सदन की मुहर लगवा दी. अब राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तत्‍काल तीन तलाक कहना गुनाह हो जाएगा.

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सरकार की सहयोगी जनता दल (यू) और AIADMK बिल के विरोध में रहे. वोटिंग से पहले इन दोनों दलों के सांसदों ने सदन से वॉक आउट कर दिया. ऐसा कर इन दोनों दलों ने बिल का विरोध तो किया पर परोक्ष रूप से सरकार की मदद की. सरकार के फ्लोर मैनेजर लगातार राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के भी संपर्क में थे. खुद गृहमंत्री अमित शाह पूरे दिन सदन में रहे.

बीजेडी ने इस बिल पर सरकार का साथ देने का वादा किया था. TRS के 6, TDP के दो और बीएसपी के चार सांसदों ने मतदान का बहिष्कार कर सरकार का काम आसान कर दिया. रही-सही कसर विपक्ष के कई अनुपस्थित सांसदों ने पूरी कर दी. कांग्रेस के 48 में से 3 सांसद अनुपस्थित थे, तो चौथे संजय सिंह ने मंगलवार को ही इस्‍तीफा दे दिया था. तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद सदन में नहीं थे. NCP के कुल 4 सांसदों में से खुद शरद पवार और प्रफ्फुल पटेल अनुपस्थित थे. सपा के कुल 12 सांसद हैं, जिनमें से अमर सिंह अलग हो चुके हैं. नीरज शेखर इस्तीफा देकर बीजेपी ज्‍वाइन कर चुके हैं और बेनी प्रसाद वर्मा अस्वस्थ हैं. आरजेडी के राम जेठमलानी भी बीमारी के कारण सदन में नहीं थे.

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बहस होने के समय पक्ष-विपक्ष के वोट बराबर लग रहे थे, लेकिन यह बीजेपी के फ्लोर मैनेजमेंट का ही कमाल था कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के पक्ष में सिर्फ 84 और विरोध में 100 वोट पड़े. बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े तो विपक्ष में केवल 84 वोट ही मिले. इस तरह राज्‍यसभा में बहुमत न होते हुए भी सरकार को ऐतिहासिक जीत मिली.