बस्तर का एक गांव जहां पहली बार पहुंचा प्रशासन

इस गांव तक पहले ना तो सड़क थी और ना ही कोई और जरिया। ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पहाड़ का सीना चीरकर 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है।

इस गांव तक पहले ना तो सड़क थी और ना ही कोई और जरिया। ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पहाड़ का सीना चीरकर 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है।

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sankalp thakur
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बस्तर का एक गांव जहां पहली बार पहुंचा प्रशासन

बस्तर के कांकेर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के बाद पहली बार प्रशासन पहुंचा है। इस गांव तक पहले ना तो सड़क थी और ना ही कोई और जरिया। ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पहाड़ का सीना चीरकर 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी है।

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यह सड़क बस्तर के कांकेर के एक गांव की है। इस गांव तक पहुंचने के लिए न तो सड़क थी और ना ही कोई और जरिया। लंबे समय से गांव के लोग समस्याओं से जूझ रहे थे। आखिरकार ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन का दरवाजा खटखटाया और फिर शुरू हुई चुनौतीपूर्ण मुहिम।

इसके बाद गांव के लोगों ने पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया और महज 2 महीने में बना डाली 4 किलोमीटर लंबी सड़क।

इससे पहले मर्रापी गांव के लोगों को राशन लेने भी 10 किलोमीटर का सफर तय कर जाना पड़ता था। सड़क ना होने से गांव में ना कोइ स्कूल खुल पाया था और ना ही प्रशासन की अन्य सुविधायें गांव तक पहुंच पाती थी, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। सड़क बनने के बाद पहली बार जिला प्रशासन ग्रामीणों की समस्या सुनने के लिए मर्रापी गांव पहुंचा।

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डीएम ने कहा- ग्राम पंचायत मर्दापोटी का आश्रित गांव मर्रापी पहाड़ पर बसा हुआ है। नक्सलियों के खौफ के चलते कोई भी अधिकारी जल्दी यहां आना नहीं चाहता था। पुलिस ने अब मर्रापी गांव को गोद ले लिया और गांववालों के विकास के सकंल्प के साथ पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है।

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Source : News Nation Bureau

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