सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ पहली स्वदेशी वैक्सीन हुई लॉन्च, SII और DBT ने मिलकर बनाया
देश को आज सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ पहली स्वदेशी वैक्सीन मिल गई है. इसका नाम 'क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (qHPV)' है.
highlights
- सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है
- हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1,22,844 मामले दर्ज होते हैं
- केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने लांच किया
नई दिल्ली:
सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ पहली स्वदेशी वैक्सीन मिल गई है. इसका नाम 'क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (qHPV) है. इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) ने मिलकर बनाया है. आज दिल्ली में इस वैक्सीन को केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने लांच किया है. दरसअल सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है. उससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1,22,844 मामले दर्ज होते हैं.
इनमें से 64,478 महिलाओं की मौत हो जाती है. आरोग्यश्री सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश सर्वाइकल कैंसर के मामलों में दूसरे स्थान पर है, जहां देश के कुल 14% मामले सामने आते हैं. इसकी रोकथाम के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने एचपीवी वैक्सीन लगाने का फैसला किया है. यहां यह जानना जरूरी है कि यह वैक्सीन सर्वाइकल को रोकने में कितनी कारगर है. सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है. गर्भाशय का निचला हिस्सा. इसमें ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) जो कि एक यौन संचारित संक्रमण है, सर्वाइकल कैंसर पैदा करने में सबसे ज्यादा भूमिका निभाता है.
1. 8 फीसदी हाई रिस्क केस थे
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के शहरी और पेरी-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में 14.7 प्रतिशत का एचपीवी प्रसार पाया गया है. इनमें से 1. 8 फीसदी हाई रिस्क केस थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि लेट-स्टेज सर्वाइकल कैंसर कुल मिलाकर लगभग 1.3% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है. सर्वाइकल एडेनोकार्सिनोमा नामक एक प्रकार के कैंसर में सबसे बड़ी वृद्धि पाई गई, जो कि सर्वाइकल कैंसर का सबसे घातक रूप है. इसका औसतन वार्षिक प्रतिशत वृद्धि 2.9% है. ऐसे में सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता होना बहुत ज़रूरी है. अब तक भारत इस वैक्सीन को विदेशों से आयात करता था लेकिन अब इस स्वदेशी वैक्सीन के आ जाने से उन हजारों लाखों महिलाओं की जिंदगी तो बचेगी ही , साथ ही इससे मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की जायेगी. डॉक्टर नीरजा भाटला के मुताबिक, टीके पहले नौ से 14 वर्ष की लड़कियों को दिए जा सकते हैं. शुरुआत में ये टीके सिर्फ लड़कियों को दिए जाएंगे, लेकिन बाद में इसे लड़कों को भी लगाया जा सकता है. देश में टीका तैयार करने की वजह से कीमत कोई बड़ी बाधा नहीं बनेगी. हालांकि इसकी कीमत अभी तय नहीं हो पाई है.
देश में इस समय एचपीवी के दो टीके मौजूद हैं
देश में इस समय एचपीवी के दो टीके मौजूद हैं, जिनका निर्माण विदेशी कंपनियों द्वारा होता है. इनमें एक टीका गार्डसिल है जिसे मर्क तैयार करती है, जबकि दूसरी सर्वेरिक्स है, जिसे ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन तैयार करती है. बाजार में एचपीवी वैक्सीन की कीमत लगभग 2,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति खुराक है. उम्मीद है कि सीरम के इस क्षेत्र में उतरने से कीमतें कम होंगी. सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में इस टीके को शामिल करना, महिलाओं में सर्विकल कैंसर की समस्या को कम करने की दिशा में यह अहम कदम साबित हो सकता है.
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