महिला वकील पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते जज बनने की पेशकश को ठुकरा देती है- चीफ जस्टिस

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़े मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि महिला वकील अक्सर अपनी घरेलू, परिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते जज बनने से कतराती है.

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़े मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि महिला वकील अक्सर अपनी घरेलू, परिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते जज बनने से कतराती है.

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Dalchand Kumar
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महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते जज बनने से कर देती हैं मना- CJI( Photo Credit : फाइल फोटो)

हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़े मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि महिला वकील अक्सर अपनी घरेलू, परिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते जज बनने से कतराती है. चीफ जस्टिस ने कहा कि ये वक़्त की ज़रूरत है कि इस देश को एक महिला चीफ जस्टिस मिले, लेकिन कॉलिजयम को अक्सर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि महिला वकील, जज बनने को ऑफर को नहीं स्वीकारती है. मुझे कई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने बताया है कि जब उन वकीलों से बात की गई तो उन्होंने घरेलू जिम्मेदारियों या दसवीं, बारहवीं में पढ़ रहे अपने बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए जज बनने के ऑफर को नामंजूर कर दिया.

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चीफ जस्टिस की बेंच ने हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति से जुड़े मसले पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की. इसी केस में सुप्रीम कोर्ट वीमेन लॉयर्स एसोसिएशन ने एक अर्जी दायर कर मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट की काबिल अनुभवी वकीलों को हाई कोर्ट में जजों के तौर पर नियुक्त किया जाए, ताकि महिला जजों की संख्या बढ़ सके. एसोसिएशन की ओर से वकील स्नेहा कालिता ने कहा कि हाई कोर्ट में महिला जजो की संख्या बढ़ सके, इसलिए ये याचिका दायर की गई है.

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ़ हाई कोर्ट में ही महिला जज क्यों नियुक्त हो. वक़्त आ गया है कि इस देश को महिला चीफ जस्टिस मिले. एसोसिएशन की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने दलील दी कि देश भर में कुल हाई कोर्ट में जजों की महज 11 फीसदी महिला जज है. जजों की नियुक्ति से जुड़े मसौदे (MOP) में भी कहीं महिला प्रतिनिधित्व का ज़िक्र नहीं है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि महिलाओं का हित हमारी प्राथमिकता में है.कॉलिजयम की हमेशा ऐसी कोशिश रहती है. हालाकि इसके लिए हमे प्रतिभावान जज ही चाहिए. पर महिला वकील ही अक्सर अपनी जिम्मेदारियों का हवाला देकर जज बनने के ऑफर को ठुकरा देती है.

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सुप्रीम कोर्ट वीमेन लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ आठ ही महिला जज नियुक्त हुई है.कोई महिला महिला देश के चीफ जस्टिस पद पर नहीं पहुंची है. हाई कोर्ट के कुल 661में से केवल  73 महिला जज है, जो कुल महिला जजो का 11 फीसदी है. इसी बीच अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट र कॉलिजयम ने हाई कोर्ट के जज पद पर नियुक्ति के लिए जिन 10 लोगों की सिफारिश की है, उनके बारे में सरकार की ओर से लिए गए निर्णय को 3 महीने के अंदर कॉलिजयम को बता दिया जाएगा.

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