महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पिता एवं पुत्र जैसे संबंध: शिवसेना

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शनिवार को यहां राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट की.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शनिवार को यहां राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट की.

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nitu pandey
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उद्धव ठाकरे और भगत सिंह कोश्यारी( Photo Credit : फाइल फोटो)

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शनिवार को यहां राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट की. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कोविड-19 संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारियों का आकलन करने के लिए राज्यपाल द्वारा बुधवार को बुलायी गयी बैठक में नहीं पहुंचे थे.

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राउत ने इस भेंट के बाद संवाददाताओं से कहा कि राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के बीच पिता और पुत्र जैसा संबंध है. राजभवन की ओर से जारी एक बयान में शिवसेना सांसद और राज्यपाल के बीच की मुलाकात को ‘शिष्टाचार भेंट’ बताया गया. शिवसेना नेतृत्व संभवत: विपक्षी भाजपा के राज्यपाल से मुलाकात करने और यह शिकायत करने से नाराज था कि राज्य सरकार इस वायरस को फैलने से रोकने में कथित रूप से विफल रही है.

राउत ने कहा, ‘राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कोई टकराव नहीं था. उनके संबंध पिता और पुत्र की तरह हैं तथा वे इसी तरह बने रहेंगे.’ बाद में राजभवन ने एक फोटो ट्वीट किया जिसमें राउत राज्यपाल के सम्मुख हाथ जोड़े खड़े नजर आ रहे हैं.

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उसके बाद राउत ने ट्वीट किया, ‘ ठीक है, बी के कोश्यारी मुझसे बड़े हैं, इसलिए यह नमस्कार. वैसे, हमारी अच्छी बातचीत हुई, मैंने उनसे चिंता नहीं करने को कहा, क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हमारी एमवीए सरकार अच्छी तरह चल रही है.’

शिवसेना और राजभवन के बीच का संबंध राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था क्योंकि कोश्यारी राज्य मंत्रिमंडल की दो सिफारिशों को दबा कर बैठ गये थे. उनमें से एक में कोश्यारी से शिवसेना प्रमुख ठाकरे को राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद के लिए नामित करने का आग्रह किया गया था. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने तब राजभवन की आलोचना की थी और कहा था कि उसे राजनीतिक साजिशों का केंद्र नहीं बनना चाहिए.

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चूंकि ठाकरे के लिए 27 मई से पहले विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी का सदस्य बनना संवैधानिक रूप से अनिवार्य था, ऐसे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क किया और राज्य में संभावित राजनीतिक अस्थिरता को लेकर अपनी चिंता उनके सामने रखी थी. हाल ही में चुनाव आोग ने विधान परिषद की रिक्त सीटों के लिए चुनाव का आदेश दिया. केवल नौ उम्मीदवारों के नामांकन दायर करने के साथ ही ठाकरे निर्विरोध राज्य विधानमंडल के पहली बार सदस्य बने. 

Source : Bhasha

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