कश्मीर स्थित तमाम प्रमुख राजनीतिक दल परिसीमन आयोग की सिफारिशों के पहले मसौदे से नाराज हैं।
सोमवार को सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, छह अतिरिक्त नई सीटें जम्मू को और एक कश्मीर को मिलेगी। जम्मू-कश्मीर में एसटी के लिए नौ और एससी के लिए सात सीटों का प्रस्ताव किया गया है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट को अस्वीकार्य बताते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि नई सीटों का आवंटन 2011 की जनगणना के आधार पर नहीं किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिश अस्वीकार्य है। नव निर्मित विधानसभा क्षेत्रों का वितरण, जिसमें जम्मू को 6 और कश्मीर को केवल 1 (सीट) मिलने जा रही है, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह बहुत निराशाजनक है कि आयोग ने डेटा के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों को निर्देशित करने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि यह वादा किए गए वैज्ञानिक ²ष्टिकोण के विपरीत यह एक राजनीतिक ²ष्टिकोण है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि रिपोर्ट जनसंख्या जनगणना की अनदेखी करती है और यह कदम लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करता है।
उनका कहना है कि आयोग का गठन केवल इसलिए किया गया है ताकि धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित करके भाजपा के राजनीतिक हितों के लिए काम किया जा सके। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, परिसीमन आयोग के बारे में मेरी आशंका गलत नहीं थी। वे जनसंख्या की जनगणना की अनदेखी करके और एक क्षेत्र के लिए 6 सीटों का और कश्मीर के लिए केवल एक सीट का प्रस्ताव करके लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं।
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, यह आयोग केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित करके भाजपा के राजनीतिक हितों की सेवा के लिए बनाया गया है। असली गेम प्लान जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी सरकार स्थापित करना है, जो अगस्त 2019 के अवैध और असंवैधानिक फैसलों को वैध बनाएगी।
पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि आयोग की सिफारिशें अस्वीकार्य हैं।
लोन ने ट्वीट किया, परिसीमन आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए यह कितना बड़ा झटका है।
जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष, अल्ताफ बुखारी ने परिसीमन आयोग के प्रस्ताव को 2011 की जनगणना के अनुरूप नहीं बताते हुए कहा कि यह जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
परिसीमन आयोग के प्रस्ताव पर मीडिया रिपोटरें का उल्लेख करते हुए, पार्टी अध्यक्ष ने खेद व्यक्त किया कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लोगों के प्रतिनिधित्व की खूबियों और मांगों को दरकिनार कर दिया है, जिससे लोगों की चिंताओं और आशंकाओं की पुष्टि हुई है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रस्ताव देश में परिसीमन को नियंत्रित करने वाले कानूनों द्वारा अनिवार्य प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के विपरीत है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिला क्षेत्रों और उनकी संबंधित जनसंख्या संख्या को ध्यान में रखा जाना था, जो कि किसी अज्ञात कारण से उक्त रिपोर्ट से गायब है। उन्होंने यह भी कहा कि न केवल जनसंख्या मानदंड की अनदेखी की गई है, बल्कि ऐसा लगता है कि आयोग ने मौजूदा प्रशासनिक इकाइयों की प्रतिनिधित्व संबंधी आवश्यकताओं पर भी ध्यान नहीं दिया है।
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Source : IANS