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किसान अब करेंगे संसद पर प्रदर्शन, आर-पार की होगी अब लड़ाई

19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले 17 जुलाई को मोर्चा के सदस्य सभी विपक्षी दलों (Opposition) के सांसदों को चेतावनी पत्र देकर संसद में चुप्पी तोड़ने या कुर्सी छोड़ने की मांग करेंगे.

Updated on: 05 Jul 2021, 06:45 AM

highlights

  • मॉनसून सत्र के दौरान हर रोज 200 किसान करेंगे संसद पर प्रदर्शन
  • प्रत्येक किसान संगठन के 5-5 सदस्य होंगे धरना-प्रदर्शन में शामिल
  • यूपी के पीलीभीत से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली की भी योजना बनाई गई

नई दिल्ली:

तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के बयान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने अपनी आगे की रणनीति का खुलासा कर दिया है. किसान मोर्चा ने संसद (Parliament) के मॉनसून सत्र के शुरू होने से लेकर खत्म होने तक प्रदर्शन की रूपरेखा बनाई है. इसके तहत हर रोज 200 प्रदर्शनकारी संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे. इन किसानों में प्रत्येक किसान संगठन का पांच सदस्य होगा. इसके साथ ही 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले 17 जुलाई को मोर्चा के सदस्य सभी विपक्षी दलों (Opposition) के सांसदों को चेतावनी पत्र देकर संसद में चुप्पी तोड़ने या कुर्सी छोड़ने की मांग करेंगे. किसान उनसे अपील करेंगे कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता और एमएसपी पर कानून बनाने की बात नहीं होती, तब तक संसद नहीं चलने दी जाए.

किसान कृषि कानूनों पर आर-पार की लड़ाई के मूड में
रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सदस्यों ने एक बैठक में आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है. इस बैठक में सीधे तौर पर आरपार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया गया है. बैठक के बाद एसकेएम की ओर से कहा गया है कि किसान जानते हैं कि कानूनों को जीवित रखने से विभिन्न तरीकों से किसानों की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन करने के उद्देश्य के लिए कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग होगा. किसान संगठन की ओर से कहा गया है कि जब एक कानून का उद्देश्य ही गलत हो गया है और यह किसानों के खिलाफ है तो यह स्पष्ट है कि कानून के अधिकांश खंड उन गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होंगे. सिर्फ इधर-उधर छेड़छाड़ करने से काम नहीं चलेगा. किसानों ने यह भी कहा है कि इन कानूनों को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से लाया गया है. केंद्र सरकार ने उन क्षेत्रों में कदम रखा है जहां उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. 

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ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन 8 को
इसके अलावा आठ जुलाई को देशभर में पेट्रोल, डीजल व गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ हाईवे के किनारे 10 से 12 बजे तक गाड़ियां, गैस सिलेंडर के साथ प्रदर्शन करेंगे. हालांकि इस दौरान रोड जाम नहीं की जाएगी. मोर्चा के नेताओं ने बताया कि 12 बजे आठ मिनट तक सभी गाड़ियों के हार्न बजाकर सरकार को जगाने का काम किया जाएगा. इसके अलावा बैठक में निर्णय लिया गया कि कृषि कानून विरोधी किसी भी धरने या मोर्चा पर किसी भी राजनीतिक दल के लोग, विधायक, सांसद या जनप्रतिनिधि को मंच साझा नहीं करने दिया जाएगा. एसकेएम ने कहा है कि सभी सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को मजबूत स्थानीय समर्थन मिला है. यूपी के पीलीभीत से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली की योजना बनाई जा रही है. 

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सरकार से 11 दौर की बातचीत बेनतीजा
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के महीने में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ 11 दौर की औपचारिक वार्ता का हिस्सा थे. मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल कहते रहे हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है बशर्ते कि किसान उन प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए तैयार है जिनसे उन्हें समस्या है. मंत्रियों ने यह भी कहा है कि सरकार तीन काले केंद्रीय कानूनों को निरस्त नहीं करेगी. किसान पहले ही स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि संशोधन क्यों काम नहीं करेंगे. सरकार की मंशा भरोसेमंद नहीं है.