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कृषि मंत्री तोमर बोले- बातचीत में कुछ किसान संगठनों ने कृषि कानूनों का किया समर्थन

केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 27 दिन हो गए हैं और इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द अपनी आंतरिक चर्चा पूरी करेंगे.

Updated on: 22 Dec 2020, 08:03 PM

नई दिल्ली:

केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 27 दिन हो गए हैं और इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द अपनी आंतरिक चर्चा पूरी करेंगे और संकट के समाधान के लिए सरकार के साथ पुन: वार्ता शुरू करेंगे. तोमर ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के दो और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताया है.

कृषि मंत्री ने दोनों समूहों से मुलाकात के बाद कहा कि विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि यह बताने आये थे कि कानून अच्छे हैं और किसानों के हित में हैं. वे सरकार से यह अनुरोध करने आए थे कि कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया जाए. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि वे (प्रदर्शनकारी किसान संघ) जल्द अपनी आंतरिक वार्ता पूरी करेंगे और सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आएंगे. हम सफलतापूर्वक समाधान निकाल सकेंगे.

कृषि मंत्रालय ने रविवार को प्रदर्शनकारी समूहों को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि सरकार के प्रस्तावों पर अपनी चिंताएं स्पष्ट करें तथा प्रदर्शन को समाप्त करने के लिहाज से वार्ता के अगले चरण के लिए तारीख तय करें. दोनों पक्षों के बीच हुई कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है और आंदोलनकारी किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने से कम किसी चीज पर राजी नहीं हैं. उत्तर प्रदेश की किसान संघर्ष समिति (केएसएस) और दिल्ली का इंडियन किसान यूनियन (आईकेयू) उन किसान संगठनों में शामिल है, जिन्होंने पिछले तीन सप्ताह में नये कृषि कानूनों के प्रति समर्थन जताया है.

इससे पहले हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ संगठन सरकार का समर्थन कर चुके हैं. हालांकि, करीब 40 समूह दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और 27 दिन से वहां डेरा डाले हैं. मंगलवार को हुई बैठक में राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री तथा आईकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकुमार वालिया भी उपस्थित थे. केएसएस के अध्यक्ष अजय पाल प्रधान ने बैठक के बाद कहा कि केंद्र द्वारा लागू किये गये तीनों कानून अच्छे हैं और किसान समुदाय के हित में हैं.

केएसएस ने कानूनों का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री से यह अनुरोध भी किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की व्यवस्था जारी रहनी चाहिए. प्रधान ने दावा किया कि कानूनों के समर्थन में ट्रैक्टरों पर सवार होकर आये हजारों किसानों को सीमा पर रोक दिया गया है, इसलिए कुछ प्रतिनिधि ही मुलाकात के लिए आए. केएसएस ने तोमर को दिये ज्ञापन में सरकार से यह अनुरोध भी किया है कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों और नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना विकास प्राधिकरणों के बीच 2011-12 में हुए समझौते को लागू किया जाए.

प्रधान ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्राधिकरण समझौते को लागू नहीं कर रहे हैं जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने उन किसानों को दस प्रतिशत विकसित जमीन देने का फैसला किया था जिनकी भूमि विकास और आवासीय परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत की गयी थी. केएसएस ने यह मांग भी की कि सरकार को केवल उतनी भूमि अधिसूचित करनी चाहिए जो विकास के लिए जरूरी हैं. सिकंदराबाद औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों ने 45 प्रतिशत अधिगृहीत जमीन विकसित की है और बाकी का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है.

केएसएस ने मंडियों के आधुनिकीकरण, मंडियों के विकास के लिए मंडी कर का उपयोग करने, नलकूप शुल्क कम करने की योजना और कम ब्याज दर पर कृषि ऋण की दिशा में कदम उठाये जाने की भी मांग की. वालिया ने कहा कि हमने कृषि कानूनों को विस्तार से पढ़ा है और ये किसानों के पक्ष में हैं. हम किसानों से इस मुद्दे पर गुमराह नहीं होने का आग्रह करते हैं. उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून बिचौलियों को हटाएंगे और किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए विकल्प मुहैया कराएंगे.