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कल सरकार के साथ होने वाली बैठक स्थगित, सरकार ने कानून वापस लेने से किया इंकार

वहीं केंद्र सरकार किसानों को मनाने की कोशिश में लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में बुधवार बैठक होनी थी. लेकिन रात होते-होते बैठक को स्थगित कर दिया गया. सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने से इंकार कर दिया है. 

Updated on: 08 Dec 2020, 11:26 PM

नई दिल्ली :

नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है. किसान संगठनों ने इस कानून को विरोध में मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था. वहीं केंद्र सरकार किसानों को मनाने की कोशिश में लगातार काम कर रही है. इसी कड़ी में बुधवार बैठक होनी थी. लेकिन रात होते-होते बैठक को स्थगित कर दिया गया. सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने से इंकार कर दिया है. 

पांच राउंड की बातचीत पहले भी हो चुकी है. लेकिन कोई हल नहीं निकला है. किसानों का कहना है कि नये कानून को रद्द किया जाए और एमएसपी को लेकर लिखित में जवाब दिया जाए. वहीं, सरकार ने कहा कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा. 

वार्ता से होगा किसानों की समस्या का समाधान 

इधर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि वार्ता से ही किसानों की समस्या का समाधान होगा. केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा वह किसान नेताओं से बात कर रहे हैं और वार्ता के माध्यम से कोई न कोई समाधान निकलेगा. उन्होंने कहा, मैं आशावान हूं कि वार्ता के माध्यम से कोई न कोई समाधान होगा. 

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तोमर ने राजनीतिक दलों को लिया आड़े हाथों 

इसके साथ ही कृषि मंत्री तोमर ने किसान आंदोलन को हवा देने के लिए राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसानों के नाम पर सियासत नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक दल किसानों के नाम पर राजनीति कर रहें हैं वे अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि वे या तो पहले अपने घोषणा पत्र में किसानों को गुमराह कर रहे थे या अब उनको गुमराह करने का काम कर रहे हैं.

26 नवंबर से किसान संगठनों से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं

केन्द्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सिमाओं पर 26 नवंबर से किसान संगठनों से जुड़े लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.इससे पहले केन्द्र सरकार के साथ किसानों की समस्याओं को लेकर पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं.

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कुछ बिंदुओं पर कृषि कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया

केन्द्र सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को उनके द्वारा सुझाए गए कुछ बिंदुओं पर कृषि कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है. जबकि वे तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं.