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किसानों ने की 26 मार्च को 'भारतबंद' की तैयारी, व्यापारी और ट्रेन यूनियनों का मिला साथ

दिल्ली के बॉर्डर पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों का धरना जारी है. किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है. किसानों को व्यापारी संगठनों, ट्रेड यूनियनों और रेलवे यूनियनों का भी समर्थन मिलेगा.

Updated on: 25 Mar 2021, 10:16 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली के बॉर्डर पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों का धरना जारी है. किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है. किसानों को व्यापारी संगठनों, ट्रेड यूनियनों, ट्रक यूनियनों, बस यूनियनों और रेलवे यूनियनों का भी समर्थन मिलेगा. किसान संगठनों ने भारतबंद में लोगों से साथ देने की अपील की है. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन और भारतीय किसान यूनियन (युवा) अध्यक्ष गौरव टिकैत ने कहा कि 26 मार्च का भारत बंद पूरी तरह सफल होगा. दूसरी तरफ भारत बंद के दौरान दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली लेन को कल बंद रखा जाएगा.  

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किसानों ने मांगा लोगों का समर्थन
किसान संगठनों को कहना है कि भारत बंद के लिए लोगों का समर्थन मिल रहा है. कई संगठनों ने प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सहमति दी है. देश भर की बड़ी ट्रेड यूनियनें और इस सरकार से पीड़ित कर्मचारी और व्यापारी सब इस बंद को सफल बनाएंगे. गाजीपुर बार्डर आंदोलन समिति के सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि, 26 मार्च का बंद पूरी तरह से स्वभाविक बंद होगा. कहीं किसी को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी. व्यापारी स्वभाविक रूप से अपने प्रतिष्ठान बंद रखेंगे और बस व ट्रक यूनियनें भी खुद से बंद में सहयोग करेंगे. छोटे शहरों की सफाई मजदूर यूनियनों का भी समर्थन है. 

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गाजीपुर बॉर्डर रहेगा बंद 
26 मार्च को होने वाले भारत बंद के लिए गाजीपुर बार्डर पर दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ जाने वाली लेन जो कुछ दिनों पहले तक दिल्ली पुलिस ने बंद की हुई थी, उसे किसान 26 मार्च को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रखेंगे. बंद के दौरान एंबुलेंस, स्कूली वाहन, सेना के वाहन, विदेशी पर्यटकों के वाहन और फूड सप्लाई और अन्य जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहन नहीं रोके जाएंगे. किसानों का कहना है कि सरकार जो तीन नए कृषि कानून लेकर आई है उनका असर हर आम नागरिक पर पड़ेगा. सरकार इन कानूनों के जरिए अनाज को पूंजीपतियों के गोदामों में बंद कराना चाहती है और उस स्थिति में पूंजीपति देशवासियों की भूख पर व्यापार करेंगे.