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किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, राकेश टिकैत ने कही ये बड़ी बात

Farmers protest : नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन जारी है. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार की शाम को कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं.

Updated on: 13 Jan 2021, 07:25 PM

नई दिल्ली:

Farmers protest : नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आंदोलन जारी है. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार की शाम को कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता के राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन में कोई देश विरोधी बातें कर रहा है तो सरकार उसे गिरफ़्तार करे. कृषि क़ानून कैसे ख़त्म हो सरकार इस पर काम करे. सरकार ने 10 साल पुराने ट्रैक्टर पर बैन लगाया है तो हम 10 साल पुराने ट्रैक्टर को दिल्ली की सड़कों पर चला कर दिखाएंगे.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने बताया कि बुधवार को कानून की प्रतियां जलाई गईं. किसान संघर्ष समन्वय समिति ने जारी बयान में कहा कि किसान आंदोलन की सभी पहलुओं को तेज करने की तैयारी चल रही है. किसान संगठनों ने दिल्ली के पास के सभी जिलों से गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड की तैयारी करने का आह्नान किया.

कृषि कानूनों पर बनी कमेटी 2 माह में सौंपेगी रिपोर्ट

आपको बता दें कि मोदी सरकार की ओर से पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया. इसके साथ ही इस मसले को सुलझाने के लिए अब कमेटी का गठन कर दिया गया है. इस कमेटी में कुल 4 लोग शामिल होंगे. यह कमेटी मामले की मध्यस्थता नहीं, बल्कि समाधान निकालने का प्रयास करेगी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के जोशी शामिल हैं. ये कमेटी सुप्रीम कोर्ट को सीधे अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि 2 महीने में वे अपनी रिपोर्ट सौंप दें. कोर्ट ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. रिपोर्ट में कमेटी की सिफारिश शामिल होगी. यह काम 2 महीने में होना है. पहली बैठक आज से 10 दिनों में होगी.