फर्जी कोरोना टेस्ट करने वाली लैब का पर्दाफाश, ऐसे हुआ खुलासा

ऐसे समय में जब कोरोना को फैलने से रोकने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसे में एक डॉक्टर गैंग बनाकर फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी कर रहा था. उसने नामी लैब्स के नाम पर उनकी रिपोर्ट कॉपी कर ना जाने कितने लोगों को फर्जी रिपोर्ट सौंप दी.

ऐसे समय में जब कोरोना को फैलने से रोकने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसे में एक डॉक्टर गैंग बनाकर फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी कर रहा था. उसने नामी लैब्स के नाम पर उनकी रिपोर्ट कॉपी कर ना जाने कितने लोगों को फर्जी रिपोर्ट सौंप दी.

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Yogendra Mishra
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Corona virus

प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

ऐसे समय में जब कोरोना को फैलने से रोकने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसे में एक डॉक्टर गैंग बनाकर फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी कर रहा था. उसने नामी लैब्स के नाम पर उनकी रिपोर्ट कॉपी कर ना जाने कितने लोगों को फर्जी रिपोर्ट सौंप दी. ये गैंग सैंपल लेने के बाद फेंक दिया करते और जिसमें जैसे लक्षण नजर आए उसे वैसी रिपोर्ट जारी कर देते. पुलिस ने डॉक्टर और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया है.

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यह डॉक्टर रूस से मेडिकल की पढ़ाई करके लौटा है, जो मालवीय नगर इलाके में अपना क्लीनिक भी चलाता है. पुलिस का दावा है कि डॉक्टर साउथ दिल्ली की ही कुछ नामी पैथोलॉजी लैब के नाम पर फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी कर लोगों को बेवकूफ बना रहा था और उनकी जान से खिलवाड़ करके करोना को फैलाने वाली ठगी कर रहा था. उसने पूछताछ में बताया है कि वह अब तक 75 लोगों से टेस्ट की झूठी रिपोर्ट थमा चुका था. एक टेस्ट के नाम पर ₹ 2400 वसूले जा रहे थे.

ऐसे हुआ पर्दाफाश

डीसीपी साउथ अतुल ठाकुर ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट पर उपलब्ध कराने वाली एक प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक ने अपने यहां काम पर रखे जाने से पहले दो नर्सों को कोविड टेस्ट कराने के लिए कहा था. वे लोग डॉक्टर कुश बिहारी पाराशर के क्लीनिक पर पहुंचे, जहां पर डॉक्टर कुश ने उनके सैंपल ले लिए और फिर उनकी टेस्ट रिपोर्ट पीडीएफ फॉर्मेट में व्हाट्सएप के माध्यम से उन्हें भेज दी. टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन जब संचालक ने टेस्ट रिपोर्ट देखी तो उसमें पेशेंट के नाम में गलती थी.

सके लिए जब संचालक ने पैथोलॉजी लैब में फोन करके नाम सही करने के लिए कहा तो मालूम हुआ कि उस पैथोलॉजी लैब में इस नाम के किसी भी शख्स का कोई कोविड टेस्ट नहीं किया गया है. संचालक ने तुरंत ही इसकी शिकायत हौज खास थाने में की. पुलिस ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की तो पाया कि जो रिपोर्ट डॉक्टर ने भेजी थी वह पूरी तरीके से फर्जी थी. तुरंत ही पुलिस में इस मामले में एफआइआर दर्ज की और डॉक्टर कुश पराशर और उसके सहयोगी अमित व सोनू को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में डॉक्टर कुश ने खुलासा किया है कि वह अब तक 75 लोगों को फर्जी कोविड टेस्ट रिपोर्ट थमा चुका है. वह अपने यहां पर आने वाले मरीजों का सैंपल लिया करता था और टेस्ट के नाम पर 2400 रुपए वसूल रहा था. इसके बाद वह नामी पैथोलॉजी लैब की रिपोर्ट को स्कैन कर उसमें नाम और पते में बदलाव करके रिपोर्ट अपने पेशेंट को व्हाट्सएप के माध्यम से पीडीएफ फॉर्मेट में भेज दिया करता था. पुलिस का कहना है कि डॉ कुश ने एक भी सैंपल किसी भी लैब में जांच के लिए नहीं भेजा था. वह टेस्ट के नाम पर रकम ले रहा था और पूरी तरीके से फर्जीवाड़ा कर रहा था. सैंपल लेकर फेंक दिए जाते थे.

आरोपी डॉक्टर मॉस्को से 2010 में एमबीबीएस एमडी करने के बाद दिल्ली आया था. प्रैक्टिस ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन कोरोना आपदा को अवसर समझा और टेस्ट के नाम पर ठगी का जाल बिछा दिया. सोनू बकायदा पीपीई किट पहनकर टेस्ट करने जाता था ताकि पीपीई किट के नाम पर अलग से पैसा वसूल सके और क्लाइंट को यकीन भी आ जाए. जिस कस्टमर के जैसे सिम्टम्स देखते, वैसी रिपोर्ट बना देते हैं, किसी को जुकाम बुखार दिखा तो उसे करोना पॉजिटिव की रिपोर्ट दे दी, जिसमें लक्षण नहीं दिखे उसे नेगेटिव करार दे दिया. उनसे लिए सैंपल कहीं जांच के लिए नहीं भेजते थे बल्कि डिस्पोज ऑफ कर देते थे.

Source : News Nation Bureau

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