कार्यपालिका की विफलता और कानूनों की अस्पष्टता न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ बढ़ा रही: CJI एनवी रमाना
सीजेआई ने कहा कि यदि अधिकारी कानून के अनुसार अपना कार्य करें तो लोग अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाएंगे. गवर्नेंस में कई बार कानून और संविधान की अनदेखी की जाती है और कार्यकारी निर्णयों को लागू करने की हड़बड़ी में लीगल डिपार्टमेंट की राय नहीं मांगी जाती
नई दिल्ली:
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने शनिवार को कहा कि कार्यपालिका के विभिन्न अंगों का काम ना करना और कानूनों में अस्पष्टता न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ बहुत बढ़ा रही है. सीजेआई ने कहा कि यदि अधिकारी कानून के अनुसार अपना कार्य करें तो लोग अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाएंगे. गवर्नेंस में कई बार कानून और संविधान की अनदेखी की जाती है और कार्यकारी निर्णयों को लागू करने की हड़बड़ी में लीगल डिपार्टमेंट की राय नहीं मांगी जाती है.
उल्लेखनीय है कि सीजेआई रमाना नई दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के 11वें संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे. सीजेआई ने कहा कि अगर कानून के मुताबिक काम किया जाए तो न्यायपालिका गवर्नेंस के रास्ते में नहीं आएगी. फिर उन्होंने मिसगर्वनेंस के कुछ उदाहरण दिए, जिससे मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिलता है.
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न्यायाधीशों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि, मैंने सीएम के सामने यह मुद्दा उठाया है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएंगे. जम्मू-कश्मीर में एक प्रणाली है, 2-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली, जिसे हमने अन्य न्यायालयों (अन्य राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में) में भी उस पंक्ति में लेने का सुझाव दिया है.
I've raised that issue with CMs. They've assured that they'll provide adequate security. In J&K there's a system, 2-level protection system, which we suggested taking up in that line in other Courts (in other states/UTs) also: CJI NV Ramana on incidents of violence against judges pic.twitter.com/zz6OL2Daay
— ANI (@ANI) April 30, 2022
CJI ने कहा कि कल 2 प्रस्ताव पारित किए कि भारत के राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण को पूरक राज्य निकायों के साथ मुख्य समन्वयक के रूप में विशेष उद्देश्य वाहन के रूप में बनाया जाए और CJI द्वारा सरकार के प्रस्ताव के अनुसार न्यायिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रेरक बल बनाया जाए.
One more resolution was also passed. It was a request made by Chief Justices and CMs - as a one-time measure give infrastructure fund to the states: Chief Justice of India NV Ramana pic.twitter.com/dPd9vtChG5
— ANI (@ANI) April 30, 2022
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि एक और प्रस्ताव भी पारित किया गया. यह मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों द्वारा किया गया अनुरोध था - एकमुश्त उपाय के रूप में राज्यों को बुनियादी ढांचा निधि दें.
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