इमेज बिल्डिंग में जुटी मोदी 2.0 सरकार, प्रणव सेन को सौंपा आंकड़ों का जिम्मा
मोदी सरकार ने अहम फैसला करते हुए केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन की अध्यक्षता में 28 सदस्यीय स्थायी समिति का गठन किया है.
highlights
- सरकारी आंकड़ों में राजनीतिक हस्तक्षेप पर आलोचना के मद्देनजर बनाई गई समिति.
- पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन की अध्यक्षता में 28 सदस्यीय स्थायी समिति.
- सांख्यिकी पर गठित स्थायी समिति की पहली बैठक 6 जनवरी 2020 को.
नई दिल्ली:
जीडीपी के आंकड़ों पर उठ रहे सवालों के बाद मोदी सरकार ने अहम फैसला करते हुए केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन की अध्यक्षता में 28 सदस्यीय स्थायी समिति का गठन किया है. सरकारी आंकड़ों में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर समय-समय पर हो रही आलोचना के मद्देनजर इस समिति का गठन महत्वपूर्ण है. समिति सरकारी आंकड़ों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर गौर करेगी.
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पहली बैठक 6 जनवरी को
सेन ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, 'सांख्यिकी पर गठित स्थायी समिति की पहली बैठक 6 जनवरी 2020 को होनी तय हुई है. इसका एजेंडा काफी व्यापक होगा. इसके बारे में हमें अगले महीने होने वाली पहली बैठक में ही पता चलेगा.' अन्य सदस्यों के बारे में सेन ने कहा, 'समिति के गठन के लिए आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है, लेकिन अन्य सदस्यों के बारे में मेरे पास कोई ब्योरा नहीं है. यह देखना होगा कि पहली बैठक में कितने सदस्य आते हैं.'
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सरकार पर लगा था हेरफेर का आरोप
इस साल मार्च में देश में सांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करने को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर चिंता व्यक्त करते हुये 108 अर्थशास्त्रियों और सामाजिक क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सांख्यिकीय संगठनों की पवित्रता और संस्थागत स्वतंत्रता को बहाल करने का आह्वान किया था. इन अर्थशास्त्रियों की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया था, जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों में किए गए संशोधन और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के रोजगार आंकड़ों को रोके रखे जाने को लेकर विवाद बढ़ गया था.
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उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण नहीं हुआ जारी
ऐसे आंकड़े जो सरकार के लिए अनुकूल नहीं हैं, को दबाने के खिलाफ इन सभी अर्थशास्त्रियों, पेशेवरों और स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने सभी से आवाज उठाने की अपील की थी और इस संस्था की सत्यनिष्ठा और संपूर्णता को बहाल करने पर जोर दिया था. इस साल नवंबर में सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 2017-18 के उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण परिणाम को जारी नहीं करने का फैसला किया.
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कांग्रेस रही हमलावर
मंत्रालय ने आंकड़ों की गुणवत्ता को आधार बनाते हुए इसे जारी नहीं किया. मंत्रालय ने यह भी कहा कि एक विशेषज्ञ समिति ने 2017-18 को जीडीपी की नई सीरीज शुरू करने के लिए आधार वर्ष के तौर पर उचित नहीं माना. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर राष्ट्रीय साख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वेक्षण जारी नहीं किए जाने को लेकर हमलावर रही है. एनएसओ की हाल की एक रिपोर्ट में कथित रूप से चार दशक में पहली बार 2017-18 में उपभोक्ता खर्च में कमी का परिणाम सामने आया था, लेकिन सरकार ने रिपोर्ट को जारी नहीं किया.
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