मुंबई में इस सदी का पहला चक्रवात है 'निसर्ग' , समझिए साइक्लोन की पूरी क्रोनोलॉजी
3 जून को दोपहर एक बजे- महाराष्ट्र से टकराया तूफान 'निसर्ग' तूफान टकराने के बाद यहां पर लैंडफाल की प्रक्रिया शुरू हो गई. अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान निसर्ग दोपहर करीब एक बजे महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग में समुद्र तट से टकरा गया.
नई दिल्ली:
100 सालों के बाद मुंबई शहर से कोई चक्रवात टकराने वाला है. विशेषज्ञों का दावा है कि चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के समुद्री तटों से टकराएगा जिसका सीधा असर महाराष्ट्र और गुजरात पर पड़ेगा. बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों का बनना और पूर्वी तटीय क्षेत्रों जैसे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के समुद्री तटों से टकराना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि ऐसा हमेशा से होता आया है. लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के पास तटीय क्षेत्रों में ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि अब यहां भी चक्रवातीय तूफान आ रहा है. आइए आपको समझाते हैं इस चक्रवात 'निसर्ग' की पूरी क्रोनोलॉजी.
एक जून 2020 को अरब सागर के मध्य-पश्चिम तटीय क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बना, जो देखते ही देखते एक बड़े चक्रवात में बदल गया. जिस समय यह चक्रवात में बदला तब यह कम दबाव का क्षेत्र मुंबई से लगभग 630 किमी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में था. 3 जून को दोपहर एक बजे- महाराष्ट्र से टकराया तूफान 'निसर्ग' तूफान टकराने के बाद यहां पर लैंडफाल की प्रक्रिया शुरू हो गई. अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान निसर्ग दोपहर करीब एक बजे महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग में समुद्र तट से टकरा गया. इस दौरान इलाके में 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. दोपहर करीब 2 बजे चक्रवात के कारण 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही थी. राज्य सरकार की आपदा प्रबंधन टीमें इस चक्रवात से बचाव की तैयारियों में लगी हैं.
केंद्र में चक्रवात की तीव्रता 90 से 110 किमी प्रति घंटे
मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शाम 7 बजे तक विमानों की आवाजाही रोक दी गई है. महाराष्ट्र के 21 और गुजरात के 16 जिलों में तूफान का असर है. दोनों राज्यों में एनडीआरएफ ने एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. यह तूफान रायगढ़ पार कर मुंबई और ठाणे की और बढ़ रहा है. तूफान का असर करीब 3 घंटे तक रहने वाला है. अनुमान है कि चक्रवात ‘निसर्ग’ बुधवार 3 जून को मुंबई के समुद्री तटों से टकराया और इसका सीधा असर महाराष्ट्र और गुजरात पर होगा. महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में हवाओं की गति 100-120 किमी प्रति घंटे तर रह सकती है, वहीं खुले इलाकों में भारी से भी भारी बारिश होने का अनुमान है.
कैसे बनते हैं चक्रवाती तूफान
महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में हवाओं की गति लगभग 100 किमी/घंटा से लेकर 120 किमी/घंटे तक रह सकती है, जिसकी वजह से मुंबई के खुले इलाकों में भारी बारिश होने का अनुमान है. महाराष्ट्र राज्य सरकार की आपदा प्रबंधन टीमें इस चक्रवात से राहत और बचाव की तैयारियों में जुटी हैं. बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का बनना और पूर्वी तटीय क्षेत्रों जैसे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से टकराना काफी आम बात है. लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के पास तटीय क्षेत्रों में ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि अब यहां भी चक्रवातीय तूफान आ रहा है. चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की पूरी क्रोनोलॉजी.
समुद्री सतह की गर्म और नम हवाओं से होती है चक्रवात की शुरुआत
समुद्र की सतह का तापमान चक्रवात बनने का अहम कारण हैं. जब तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के पार जाता है तो चक्रवात बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. जब समुद्री सतह से गर्म और नम हवाएं उपर की उठती हैं समुद्र की सतह पर कम हवा बचती है, जिसकी वजह से उस क्षेत्र में सबसे कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है. जैसे ही गर्म और नमीयुक्त हवा ऊपर जाती है, बादल बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. देखते ही देखते ये बादल अपना आकार बढ़ाते जाते हैं और हवाओं को घुमाना शुरू करते हैं. ये हवाएं जैसे ही घूमना शुरू करती हैं इसके केंद्र में एक लाइन अंग्रेजी के अक्षर आई के जैसा बनाती हैं यही आई चुक्रवात का केंद्र होता है. ये आई कितनी ऊंचाई पर बन रहा है यही इस बात पर निर्भर करता है कि तूफान की तीव्रता कितनी होगी.
वायुमंडल में चलती हैं विपरीत हवाएं
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ रॉक्सी मैथ्यू ने मीडिया से बातचीत में बताया कि समुद्र के गर्म तापमान और तेज हवाओं से वायुमंडल में ऐसी स्थिति बनती है जिससे चक्रवातीय स्थितियां बनना शुरू हो जाती हैं. वहीं अगर अरब सागर की बात करें तो ये सागर बंगाल की खाड़ी के मुकाबले ज्यादातर ठंडा ही रहता है. यहां के वातावरण में मॉनसून के शुरुआती दिनों में विपरीत हवाएं चलती हैं. यहां पर हम आपको बता दें कि वायुमंडल के निचले स्तरों में हवाएं एक दिशा में चल सकती हैं और ऊपरी स्तरों पर हवाएं दूसरी दिशा में चल सकती हैं, जो कि चक्रवात को वर्टिकल तरीके से बनने से रोकता है.
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से मजबूत हो रहे चक्रवात
डॉ रॉक्सी मैथ्यू ने मीडिया से बातचीत में आगे बताया कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के तटीय इलाकों में चक्रवात कम बनते हैं. लेकिन अब इस प्रक्रिया में बदलाव हो रहा है. उन्होंने आगे बताया कि कई वैज्ञानिकों की रिसर्च के बाद पता चला है कि चक्रवातों के मजबूत होने के पीछे जलवायु परिवर्तन ही सबसे बड़ा कारण है. दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्री सतह पर तापमान को बढ़ा दिया है. चूंकि चक्रवात के बनने के पीछे सबसे बड़ा कारण समुद्री सतह का तापमान ही होता है. तापमान ज्यादा मतलब ज्यादा गर्म और नमीदार हवाएं ऊपर की दिशा में उठेंगी. इससे हवाओं की गति बढ़ेगी और तूफान आने की परिस्थितियां बनेंगी.
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