राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूछा कि अगर डॉक्टर ही सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं तो फिर कोविड-19 के मरीजों का इलाज कौन करेगा?
प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र में, केजरीवाल ने लिखा, ये वही डॉक्टर हैं, जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह ना करते हुए कोरोना मरीजों की सेवा की। ना जाने इस महामारी के दौरान कितने डॉक्टर की जान गई, लेकिन वो फिर भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। लेकिन आज अगर डॉक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़ रहा है तो यह बेहद दुख की बात है।
उन्होंने आगे कहा, नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी होने से इन डॉक्टरों के भविष्य पर तो असर पड़ता ही है, लेकिन इसके साथ-साथ अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होती है और बाकि डॉक्टरों पर बोझ बढ़ता है। मेरा आप से आग्रह है कि सरकार जल्द से जल्द नीट-पीजी काउंसलिंग करवाए।
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) यानी नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर दिल्ली भर के कई सरकारी अस्पतालों के सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टर इस प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग को लेकर पिछले कुछ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
नीट-पीजी 2021 क्वालिफायर की काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए पिछले 11 दिनों से विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करते हुए विरोध मार्च निकाला था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत तक मार्च के दौरान उनकी पिटाई की गई और उन्हें घसीटा गया।
पुलिस ने कहा कि हंगामे के दौरान उनके सात कर्मी घायल हो गए। इसने यह भी कहा कि उस समय दो बसें क्षतिग्रस्त हो गईं।
अतिरिक्त डीसीपी (मध्य जिला) रोहित मीणा ने आईएएनएस को बताया, हमने 12 डॉक्टरों को हिरासत में लिया लेकिन बाद में उन्हें एक घंटे में छोड़ दिया गया।
बाद में सोमवार को रेजिडेंट डॉक्टरों ने उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद दिल्ली के अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया।
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Source : IANS