छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व के वृक्षों का रोपण किया जाएगा, इस खास स्थान को कृष्ण कुंज नाम दिया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी को यहां पौधे रोपे जाएंगे।
बताया गया है कि, कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को कृष्ण कुंज विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आवंटन करने के निर्देश दिए हैं। आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में कृष्ण कुंज के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षों का रोपण प्रारंभ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कृष्ण कुंज के माध्यम से वृक्षारोपण को जन अभियान बनाने की पहल करते हुए कहा है कि हमारे देश में बरगद, पीपल, नीम, कदंब तथा अन्य वृक्षों की पूजा करने की अत्यंत प्राचीन परंपरा है। मनुष्य के लिये वृक्षों की अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण ही हमारी परंपराओं में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई का जिक्र करते हुए बघेल ने कहा, विगत वर्षों में नगरीय क्षेत्रों का तीव्र विकास होने के कारण वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से वृक्षों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। अगर यही स्थिति जारी रही तो कदाचित भावी पीढ़ियों को इन वृक्षों के परंपरागत महत्व के बारे में जानकारी तक नहीं हो सकेगी, इसलिये वृक्षों की अमूल्य विरासत का संरक्षण हम सबका परम कर्तव्य है। यह अत्यंत आवश्यक है कि मनुष्य के लिये जितने भी जीवनोपयोगी वृक्ष हैं, उन्हें सभी नगरीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लगाया एवं संरक्षित किया जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि वृक्षारोपण को जन जन से और अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोडने एवं विशिष्ट पहचान देने के लिये इसका नाम कृष्ण कुंज रखा जाये। वन विभाग द्वारा आवंटित भूमि को विकसित करते हुए समस्त कार्रवाई इस प्रकार की जाये कि आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में कृष्ण कुंज में वृक्षों के रोपण का कार्य विधिवत प्रारंभ किया जा सके।
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Source : IANS