Exit polls 2017: क्या मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री दोबारा बन सकते हैं
गोवा में बीजेपी की साख दांव पर लगी है और राज्य में अभी भी मुद्दे वहीं हैं जो पिछले चुनाव के समय में थे और जिन मुद्दों पर बीजेपी जीत कर आई थी। इन चुनौतियों को देखते हुए पार्टी ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को केंद्र की राजनीति में होने के बादजूद राज्य विधानसभा चुनाव में लगा दिया था।
पणजी:
गोवा में बीजेपी की साख दांव पर लगी है और राज्य में अभी भी मुद्दे वहीं हैं जो पिछले चुनाव के समय में थे और जिन मुद्दों पर बीजेपी जीत कर आई थी। इन चुनौतियों को देखते हुए पार्टी ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को केंद्र की राजनीति में होने के बादजूद राज्य विधानसभा चुनाव में लगा दिया था।
बीजेपी को गोवा में तीसरी ताकत के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी टक्कर दे रही थी। भ्रष्टाचार और खनन माफिया के खिलाफ कांग्रेस को घेर कर पिछले चुनाव में पार्टी ने सत्ता हथियाई। अब उन्ही मुददों को लेकर आम आदममी पार्टी ने बीजेपी को घेरा।
राज्य में मनोहर पर्रिकर को केंद्र में बुलाने के बाद लक्ष्मीकांत पारसेकर को राज्य कके सत्ता की बागडोर सौंपी गई। लेकिन पारसेकर राज्य में अपनी छाप छोड़ने में फेल रहे।
- मनोहर पर्रिकर की राज्य की जनता में काफी विश्वास था, जो अब भी है। लेकििन वो विश्वास कायम करने में पारसेकर फेल रहे हैं।
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- पर्रिकर ने इसाई समुदाय के बीच अपनी पकड़ बनाई और उनके विश्वास को जीतने में कामयाब रहे। उग्र हिंदू संगठन श्री राम सेने जैसे संगठनों पर नकेल लगाकर उन्होंने इसाई समुदाय के खिलाफ उनके अभियान को बेअसर किया।
- भ्रष्टाचार को लेकर मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री रहते हुए लगाम भी लगाई थी, लेकिन लक्ष्मीकांत पारसेकर इसमें फेल रहे हैं।
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- इसके अलावा पारसेकर जनता और पार्टी दोनों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।
- पर्रिकर राज्य बीजेपी और संघ के बीच समन्वय बनाए रखने में सफल रहे, लेकिन पारसेकर ऐसा नहीं कर पाए। यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले राज्य में संघ के प्रमुख सुभाष वेलिंगकर ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- राज्य की जनता में पर्रिकर की छवि अच्छी है। इसके अलावा गोवा की राजनीति में भी पकड़ अच्छी है।
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बीजेपी को इस चुनाव में गोवा ईकाई में पर्रिकर की कमी खली है, लेकिन उन्हें चुनाव के ठीक पहले हटाने का मतलब था कि जनता में गलत संदेश जाता और विपक्षी दलों को चुनाव में एक नया हथियार भी मिल जाता।
पर्रिकर की कमी की भरपाई करने के लिये बीजेपी ने पूरे चुनाव के दौरान उन्हें केंद्र की राजनीति से दूर गोवा में ही रखा। साथ ही लगातार जनता में ये संदेश देने की कोशिश करती रही कि बीजेपी अगर जीतती है तो राज्य का अगला मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ही होंगे। जाहिर बीजेपी को पर्रिकर की कमी का खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता था।
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