चीन की नाराजगी को नजरअंदाज कर तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा तवांग पहुंचे और वहां तवांग मठ में बौद्ध भिक्षुओ और श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया। दलाई लामा ने शनिवार को अपने अनुयायियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह मार्क्सवादी हैं और लेनिनवाद के खिलाफ हैं।
दलाई लामा ने कहा, 'मैं मार्क्सवादी हूं और इसकी समान प्रणाली की प्रशंसा करता हूं। लेकिन मैं पूरी तरह से लेनिनवाद के खिलाफ हूं।' ऐसा कहा जाता है कि दलाई लामा मार्क्सवाद को इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि वह अमीरों और गरीबों के बीच अंतर को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
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गौरतलब है कि दलाई तिब्बत से निर्वासित होने के बाद 1959 से ही भारत में रह रहे हैं। वहीं तिब्बत पर चीन अपना अधिकार जताता रहा है।
दलाई लाम के दौरे के लेकर पूरे तवांग को भारत-तिब्बत के झंडों, फूलों और रंगीन प्रार्थनाओं वाले झंडे से सजाया गया। सड़कों और नालियों की भी खासतौर पर सफाई हुई। दलाई भारत के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे बौद्ध मठ में शुमार तवांग मठ में ठहरे हैं। उनके साथ अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी हैं।
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आठ सालों के बाद यह दलाई लामा का अरुणाचल दौरा है। वह शुक्रवार को ही दिन में सड़क मार्ग के जरिये दिरांग से तवांग के लिए रवाना हुए थे। दलाई लामा ने इस पहाड़ी राज्य का पहला दौरा साल 1983 में किया था और अंतिम दौरा साल 2009 में किया था।
चीन ने दलाईलामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे का विरोध किया है। वह अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता है।
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HIGHLIGHTS
- आठ साल बाद दलाई लामा का अरुणाचल प्रदेश दौरा
- तिब्बत से निर्वासित होने के बाद 1959 से भारत में रह रहे हैं दलाई
Source : News Nation Bureau