केवल लीवर खींचना नहीं है जल्लाद का काम, क्‍या आप जानते हैं फांसी देने की पूरी औपचारिकता के बारे में

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की घड़ी करीब आ गई है. तिहाड़ जेल में इसके लिए तैयारी चल रही है. रस्‍सियों का ऑर्डर दिया जा चुका है. जल्‍लाद को बुलाया गया है.

author-image
Sunil Mishra
New Update
केवल लीवर खींचना नहीं है जल्लाद का काम, क्‍या आप जानते हैं फांसी देने की पूरी औपचारिकता के बारे में

केवल लीवर खींचना नहीं है जल्लाद का काम, जानें पूरी प्रक्रिया( Photo Credit : File Photo)

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की घड़ी करीब आ गई है. तिहाड़ जेल में इसके लिए तैयारी चल रही है. रस्‍सियों का ऑर्डर दिया जा चुका है. जल्‍लाद को बुलाया गया है. आपको बता दें कि फांसी देने से पहले जल्लाद कई तरह की औपचारिकता पूरी करता है. लीवर खींचने के अलावा कई अन्‍य काम भी वह करता है. दोषी के चेहरे पर काला कपड़ा डालते वक्‍त जल्लाद उससे कुछ कहता है और दोषी अपनी गर्दन घुमाकर जल्लाद को देखने लगता है. जल्लाद दोषी व्यक्ति से कहता है कि मुझे क्षमा करना. इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है. मैं केवल अपनी ड्यूटी कर रहा हूं और इसके लिए मुझे ऊपर से आदेश मिला है. जल्लाद को यह सब मनमर्जी से नहीं, बल्कि अनिवार्य तौर पर करनी पड़ती है. इसकी रिहर्सल भी होती है.

Advertisment

यह भी पढ़ें : 'रेप कैपिटल' वाले बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी बोले, 'मैं इनसे माफी मांगने वाला नहीं हूं'

जल्लाद कहता है, क्षमा करना दोस्त, अलविदा, राम-राम, सलाम. दोषी के धर्म के अनुसार जल्‍लाद दोषी को संबोधित करता है. कोई हिन्‍दू दोषी होने पर जल्लाद बोलता है- राम-राम. दोषी के मुस्लिम होने पर जल्लाद बोलता है- अलविदा या मेरा आखिरी सलाम स्वीकार करो दोस्त.

जल्लाद और दोषी का वह समय बहुत भावपूर्ण होता है. जल्लाद सिर झुकाकर लीवर के पास खड़ा हो जाता है. आदेश मिलते ही वह लीवर खींच देता है. फट्टा खुल जाता है और दोषी फंदे पर झूलने लगता है. फांसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोषी को फंदे से नीचे उतारना और उसे बाहर निकालना आदि काम भी जल्‍लाद को करने पड़ते हैं.

यह भी पढ़ें : 'रेप कैपिटल' वाले राहुल गांधी के बयान से आहत हूं, उन्‍हें देश से माफी मांगनी चाहिए: राजनाथ सिंह

तिहाड़ जेल के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार, फांसी की प्रक्रिया बहुत संजीदगी से पूरी की जाती है. तब किसी को भी इससे कोई मतलब नहीं होता कि दोषी को किस अपराध में फांसी दी जा रही है. फांसी दिए जाने के दौरान मुश्किल से दर्जनभर कर्मचारी वहां होते हैं. सुरक्षाकर्मी थोड़ी दूर तैनात रहते हैं. जल्‍लाद की भूमिका सबसे अहम होती है. वह कई दिन पहले से फांसी की तैयारी करता है.

अनुबंध पर नियुक्त होने वाले जल्लाद को फांसी के लिए अलग से मेहनताना दिया जाता है. इंदिरा गांधी के हत्यारे को फांसी देने वाले जल्लाद को 25 हजार रुपये दिए गए थे. अभी यह तय नहीं है कि निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने वाले जल्लाद को कितने पैसे दिए जाएंगे. यह सब जेल प्रशासन तय करता है.

Source : Akanksha Tiwari

Tihar jail Nirbhaya Case Executioner jallad
      
Advertisment