Exclusive Rahul Gandhi कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 'इमरजेंसी' पर देश से मांगी माफी, कहा- ये बड़ी गलती थी
इंदिरा गांधी जी ने माना कि इमरजेंसी गलत थी. मैं भी यहां कहता हूं कि इमरजेंसी गलत थी.
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साल 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाई गई 'इमरजेंसी' पर माफी मांगी है. हमारे सहयोगी चैनल न्यूज नेशन से बातचीत करते हुए जब राहुल गांधी से इमरजेंसी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसके लिए माफी मांगते हुए कहा, 'इंदिरा गांधी जी ने इमरजेंसी लगाई थी और इंदिरा गांधी जी ने माना कि इमरजेंसी गलत थी. मैं भी यहां कहता हूं कि इमरजेंसी गलत थी.
आपको बता दें 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई, जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही. उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की कर दी थी. देश की आजादी के बाद भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल था. आपातकाल लगने के कारण देश में चुनाव स्थगित हो गए थे. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला आपातकाल का सबसे बड़ा कारण था. यह आजाद भारत का सबसे विवादास्पद दौर भी माना जाता है. हाई कोर्ट में इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसले के बाद अगले दिन यानी 26 जून को इंदिरा गांधी ने खुद आकाशवाणी से पूरे देश को आपातकाल लगाए जाने की सूचना दी.
आपातकाल की नींव तो 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को रद कर दिया था. इतना ही नहीं, हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी पर अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी थी. इसके साथ ही उनके किसी भी तरह के पद की जिम्मेदारी संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी.
आपातकाल के समय जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया. देखते ही देखते पूरे देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन छिड़ गया. जिसे कुचलने के लिए सरकारी मशीनरी लग गई. अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, लालू प्रसाद यादव, जॉर्ज फर्नांडिस समेत विपक्ष के तमाम नेता जेल में ठूंस दिए गए. संजय गांधी तानाशाही पर उतर आए थे उनके इशारे पर न जाने कितने पुरुषों की जबरन नसबंदी कर दी गई थी.
सरकार ने पूरे देश को एक बड़े कैदखाने में तब्दील कर दिया था. आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था. इमरजेंसी में जीने तक का हक छीन लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी 2011 में अपनी गलती मानी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी, 2011 को यह स्वीकार किया कि देश में आपातकाल के दौरान इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था.
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