Exclusive: बनते बिगड़ते भारत-चीन के रिश्तों पर एक नजर 1949-2020

चीन जहां भारत को 1962 के युद्ध की याद दिला रहा है तो जवाब में भारत का कहना है कि वो अब 1962 का भारत नहीं रहा है. आज चीन ने यहां तक कह दिया कि वो अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए भारत के जंग तक से नहीं हिचकेगा.

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
india china

भारत-चीन( Photo Credit : फाइल)

भारत-चीन दोनों पड़ोसी एवं विश्व के दो बड़े विकासशील देश हैं. दोनों देशों के बीच एक लम्बी सीमा-रेखा है. प्राचीन काल से ही इन दोनों देशों में सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बन्ध रहे हैं. चीन बौद्ध धर्म को मानता है जबकि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध भारत से ही थे. चीन के लोग बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण करने के लिए भारत आते थे क्योंकि उस समय नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय भारत में ही थे ये दोनों विश्वविद्यालय अपने आप में विश्वस्तरीय थे.

Advertisment

साल 1946 में चीन के साम्यवादी शासन की स्थापना हुई इसके बाद से दोनों देशों के बीच मैत्री सम्बन्ध बराबर बने रहे. जापानी साम्राज्यवाद के विरुद्ध चीन के संघर्ष के प्रति भारत द्वारा सहानभूति प्रकट की गई एवं पंचशील पर आस्था भी प्रकट की गई. इसके बाद साल 1949 में नये चीन की स्थापना के बाद के अगले वर्ष, भारत ने चीन के साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित हुए. इस तरह भारत, चीन लोक गणराज्य को मान्यता देने वाला प्रथम गैर-समाजवादी देश बना. साल 1947 में भारत आजाद हुआ और 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) का गठन हुआ तभी से भारत सरकार की नीति चीन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की रही. आइए अब हम आपको भारत चीन के बीच युद्ध से पहले और उसके बाद के रिश्तों के बारे में बताते हैं.

सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन आमने सामने हैं. चीन जहां भारत को 1962 के युद्ध की याद दिला रहा है तो जवाब में भारत का कहना है कि वो अब 1962 का भारत नहीं रहा है. आज चीन ने यहां तक कह दिया कि वो अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए भारत के जंग तक से नहीं हिचकेगा. दोनों देशों के बीच ये रिश्ते कहां तक जाएंगे ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस माहौल में 58 साल पहले के उस युद्ध और उसके हालात पर एक नजर डालना जरूरी है.

भारत-चीन युद्ध से पहले और बाद के रिश्ते 1949 - 1962
साल 1949 में चीन को मान्यता देने वाला भारत दुनिया का दूसरा गैर कम्युनिस्ट मुल्क था इसके बावजूद भी दोनों देशों के शुरुआती रिश्ते अच्छे नहीं रहे. साल 1959 में चीन ने मैकमोहन लाइन को मानने से इनकार कर दिया था. जुलाई 1954 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भारत के नक्शों में सुधार का निर्देश देते हुए एक पत्र लिखा जिसमें सभी मोर्चों पर भारत की सीमाओं का निर्धारण किया गया. इस दौरान चीन के नक्शों में भारत के तकरीबन 12 लाख वर्ग किलोमीटर की भूमि को चीन का दिखाया गया. जब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पीआरसी के पहले प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई से इस बारे पूछा तो उसने जवाब दिया कि ऐसा नक्शे में गलती की वजह से हुआ. साल 1961 में चीन ने पश्चिमी सेक्टर की 12 लाख वर्ग किमी जमीन पर जबरदस्ती अपना कब्जा जमा लिया, और 15-18 नवंबर 1962 के खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. एक महीने के बाद चीन ने खुद ही 21 नवंबर को युद्ध विराम का ऐलान भी कर दिया.

1962-1967 के बीच हालात तनावपूर्ण बने रहे
1962 युद्ध में भारत-चीन युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण बने रहे. इसके बाद 2 मार्च 1963 को चीन और पाकिस्तान ने कश्मीर और शिनजियांग के बीच बीजिंग में एक समझौता किया पाकिस्तान ने कश्मीर के 5080 वर्ग किमी हिस्से पर कब्जा कर लिया जिसे मौजूदा समय में पीओके के नाम से जाना जाता है. इसके बाद 27 अगस्त 1965 को चीन ने भारत पर सिक्किम-चीन सीमा को पार करने का आरोप लगाया. इसके बाद 30 नवंबर साल 1965 में ही चीनी सैनिकों ने उत्तर सिक्किम और एनईएफए में एक बार फिर भारतीय सैनिकों पर घुसपैठ की कोशिश का आरोप लगाया. इसके बाद चीन और भारत के जवानों के बीच चोल और नाथूला के पास 10 दिनों तक घमासान लड़ाई हुई थी जिसमें भारतीय जवानों ने चीनी सेना को चारो खाने चित्त कर दिया था इस लड़ाई में चीन के 300 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे जबकि भारत के 65 जवान शहीद हुए थे. 1967 के बाद दोनों देशों के बीच एक बी गोली नहीं चली.

2013-2020 के बीच दोनों देशों में चल रहा शीतयुद्ध
1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से लेकर 2013 तक भारत-चीन सीमा पर सिर्फ दो ही बड़ी घटनाएं घटीं थी जिनमें से पहली घटना 1967 में नाथुला में और दूसरी घटना 1986 में समदोरांग में हुई थी. इसके 27 साल बाद साल 2013 में भारत और चीन की सेना दौलत बेग ओल्डी सेक्टर और एक साल बाद चुमार में एक दूसरे के सामने थीं. साल 2017 में डोकलाम वाली घटना हुई. डोकलाम वाली घटना के दौरान ही पैंगॉन्ग लेक में दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प के दौरान स्थति पथराव तक की बनी थी. डोकलाम मामले के बाद ही वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच मुलाकात हुई. इस मुलाकात से द्विपक्षीय रिश्ते थोड़े शांत हुए और सीमा पर तनाव भी कम हुआ. साल 2019 में मामलापुरम समिट हुई दोनों बैठकों से संबंध सुधरने की उम्मीद की गई और यह बहुत हद तक कामयाब भी रही. उसके बाद साल 2020 में लद्दाख के एलएसी बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाओं में तनाव दिखाई दे रहा है.

Source : News Nation Bureau

Ladakh Border Indo-China Relationship china Nalanda and Takshshila University Inida
      
Advertisment