शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर : तीन बार दिल्ली की CM रहीं शीला दीक्षित का 81 वर्ष की उम्र में निधन

शीला दीक्षित साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रहीं. बतौर सांसद वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी का हिस्सा भी रहीं.

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yogesh bhadauriya
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शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर : तीन बार दिल्ली की CM रहीं शीला दीक्षित का 81 वर्ष की उम्र में निधन

sheila dixit (फाइल फोटो)

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. शीला दीक्षित ने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की थी. शीला दीक्षित साल 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रहीं. बतौर सांसद वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी का हिस्सा भी रहीं.

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शीला दीक्षित को राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव था. उन्होंने केन्द्रीय सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था. पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं. 1984-98 में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया.

इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में, अभूतपूर्व विजय दिलायी. 2008 में हुये विधान सभा चुनावों में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटें जीती थीं.

दिल्ली की 3 बार मुख्यमंत्री

शीला दीक्षित अपनी काम की बदौलत कांग्रेस पार्टी में पैठ बनाती चली गईं थी. सोनिया गांधी के सामने भी शीला दीक्षित की एक अच्छी छवि बनी और यही वजह है कि राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें खासा महत्व दिया था. साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं थी. 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीत नहीं पाईं थी. उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना छोड़ दिया और दिल्ली की गद्दी की ओर देखना शुरू कर दिया था. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं.

लोकसभा चुनाव 2019 में मनोज तिवारी के हाथों मिली थीं हार
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस ने दिल्‍ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी से लड़ने के लिए उन्‍हें बतौर प्रदेश अध्‍यक्ष वापस लाया था. हालांकि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस के गठबंधन की खबरों ने पूरी सुर्खियों बटोरी मगर अंतत: यह गठबंधन नहीं हो सका. इस गठबंधन के लिए दिल्‍ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कई बार मीडिया में बयान दिया मगर बात नहीं बन सकी. अरविंद केजरीवाल का कहना था कांग्रेस अगर साथ देती है तो दिल्‍ली में भाजपा का रास्‍ता रोकना आसान होगा. जब कांग्रेस और आप में गठबंधन नहीं हुआ तब शीला दीक्षित नई द‍िल्‍ली विधानसभा सीट से भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष मनोज तिवारी के खिलाफ मैदान में उतरीं थी. हालांकि मोदी मैजिक के आगे शीला की नहीं चली और शीला दीक्षित अपनी सीट भी नहीं बचा पाईं. दिल्‍ली की सातों सीट पर कांग्रेस को भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

यह भी पढ़ें- शीला दीक्षित के निधन पर सीएम केजरीवाल ने जताया शोक, कहा- दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति

शीला दीक्षित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, 'शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ. वो एक मिलनसार व्यक्तित्व की महिला थीं उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए विशेष योगदान दिया उनके परिवार और उनके समर्थकों के प्रति संवेदना.' 

शीला दीक्षित को राजधानी दिल्ली का मौजूदा मॉडिफिकेशन के लिए भी जाना जाता है साल 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान शीला दीक्षित ने दिल्ली की काया ही बदल दी थी. शीला के कार्यकाल में दिल्ली में विभिन्न विकास कार्य हुए. शीला दीक्षित केरल की गवर्नर भी रही थीं लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था साल 2017 में शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए मुख्यमंत्री की उम्मीदवार रहीं थीं. 

गौरतलब है कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का आज शाम निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं. उनका एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. 

Source : News Nation Bureau

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