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हांगकांग से मिले सबूत, ओमीक्रॉन के खिलाफ बनानी पड़ सकती है नई वैक्सीन

डॉ. संजय राय ने कहा, अभी तक साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन, डब्ल्यूएचओ, यूरोपियन यूनियन से जो सबूत सामने आए हैं, उनके अनुसार इसमें एंड स्पाइक प्रोटीन तो है, लेकिन एम प्रोटीन मिसिंग है.

Updated on: 27 Nov 2021, 03:13 PM

highlights

  • एम्स कम्युनिकेबल डिजीज और कोविड-19 वैक्सीनेशन इंचार्ज डॉक्टर संजय राय का बयान
  • हांगकांग के दो व्यक्तियों को टीकाकरण के बावजूद नया वेरिएंट ओमीक्रॉन पाया गया
  • बुस्टर डोज नहीं बल्कि एमआरएनए से नई वैक्सीन बनाने की जरूरत है  

नई दिल्ली:

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS)  के कम्युनिकेबल डिजीज और कोविड-19 वैक्सीनेशन इंचार्ज डॉक्टर संजय राय ने ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर चौंकानेवाला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हांगकांग के दो व्यक्तियों को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है जिनका टीकाकरण पूरा हो चुका था, इसके बावजूद उन दोनों में साउथ अफ्रीका का यह नया वेरिएंट ओमीक्रॉन पाया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के केस सामने आने के बाद हमें बुस्टर डोज नहीं बल्कि जल्दी से जल्दी एमआरएनए से नई वैक्सीन बनाने की जरूरत है जो नए म्यूटेशन के खिलाफ कारगर हो.

डेल्टा से खतरनाक है ओमी क्रोन

डॉ. संजय राय ने कहा, अभी तक साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन, डब्ल्यूएचओ, यूरोपियन यूनियन से जो सबूत सामने आए हैं, उनके अनुसार इसमें एंड स्पाइक प्रोटीन तो है, लेकिन एम प्रोटीन मिसिंग है. इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत जैसे देश में अधिकांश व्यक्ति डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होकर हार्ड इम्यूनिटी की तरफ बढ़े हैं, वह भी टीकाकरण के बावजूद लगभग नए तरीके से संक्रमित हो सकते हैं. 

अभी तक बच्चे सुरक्षित, को-वैक्सीन भी काफी कारगर

डॉ. संजय राय के अनुसार, भारत में जिन लोगों को को वैक्सीन दी गई है, उनके अंदर पूरे के पूरे कोविड-19 वायरस के अंश को सुरक्षित तरीके से एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रयोग में लिया गया है, इसलिए अगर नए वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन म्यूटेंट हो जाते हैं या एम प्रोटीन नहीं होता तो भी 50% वायरस लड़ाने जैसा है, लिहाजा हमारी वैक्सीन से मृत्यु दर और गंभीरता में कमी जरूर आएगी.

पूरी दुनिया कर रही है रिसर्च

डॉ. राय के अनुसार, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि इस म्यूटेशन के सामने वैक्सीन बेकार साबित हुई है. हमें लगता है कि कम से कम बीमारी की गंभीरता और मृत्यु दर की कमी लाने में वैक्सीन कारगर हो सकती है, लिहाजा अभी इसे लेकर जितना संभव हो इसे लेकर सावधानी और शोध की जरूरत है.