कोरोना के कारण अगर की आत्महत्या तो भी मिलेगा परिजनों को मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अगर कोविड पीड़ित होने के 30 दिन के अंदर व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो उसके परिजनों को भी मुआवजा मिलेगा. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य आपदा राहत कोष से ये रकम मरने वालों के परिजनों को मिलेगी.
नई दिल्ली:
कोरोना के कारण हुए मौत के मामले में मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अगर कोविड पीड़ित होने के 30 दिन के अंदर व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो उसके परिजनों को भी मुआवजा मिलेगा. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य आपदा राहत कोष से ये रकम मरने वालों के परिजनों को मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति टेस्ट में कोविड पुष्टि हो जाने के 30 दिन के अन्दर आत्महत्या करता है तो उसके परिजनों को यह राशि दी जाएगी. चाहे उसकी मौत अस्पताल में हुई तो या उसके बाहर.
कोर्ट ने कहा कि हम सन्तुष्ट हैं कि पीड़ित लोगों को सरकार के इस कदम से कुछ तो राहत मिली होगी. इतनी बड़ी जनसंख्या और आर्थिक बाधाओं के बावजूद भारत ने जिस तरह किया है, वो सराहनीय है किसी और देश ने ऐसा नहीं किया है. कोर्ट इस मामले में 4 अक्टूबर को आदेश पास करेगा.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना से हुई मौत को लेकर मुआवजे के निर्देश दिया था. केंद्र ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 50 हजार रुपये का मुआवजा मिलेगा. इससे पहले केंद्र सरकार ने पीड़ित परिजनों को 4 लाख का मुआवजा देने की मांग पूरी करने में असमर्थता जताई थी. सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मौत का मुआवजा देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ऑथोरिटी (NDMA) ने गाइडलाइंस जारी कर दी है. मुआवजे की ये रकम राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से दी जाएगी. इसके लिए परिवार को जिले के डिजास्टर मैनेजेंट दफ्तर में आवेदन देना होगा और कोरोना से हुई मौत का सर्टिफिकेट जमा कराना होगा.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या था
30 जून को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोविड से हुई हर मौत के लिए पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (NDMA) की ये वैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वो ऐसी मौत के मामले में मुआवजा तय करें. हालांकि, ये राशि कितनी होनी चाहिए, ये कोर्ट ने केंद्र पर छोड़ दिया था. तब कोर्ट ने कहा था कि NDMA 6 हफ्ते में तय करे कि कितनी राशि हर पीड़ित के परिवार को दी जा सकती है. कोर्ट का मानना था कि अदालत के लिए कोई निश्चित राशि के मुआवजे का आदेश देना सही नहीं है. सरकार को महामारी से पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन, शरण, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करनी है पर NDMA को इस बारे में दिशा-निर्देश जरूर बनाने चाहिए.
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