यूरोपीय यूनियन (European Union) का एक डेलीगेशन आज पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल (NSA Ajit Doval) से मिला. बताया जा रहा है कि इस दौरान जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने और उसके बाद वहां के हालात के बारे में बातचीत हुई. यूरोपीय यूनियन के डेलीगेशन को जम्मू-कश्मीर का दौरा भी करना है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यूरोपीय यूनियन के नेताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 9, लोक कल्याण मार्ग पर बैठक हुई. प्रधानमंत्री ने इस दौरान यूरोपीय यूनियन और भारत के साथ संबंधों को लेकर डेलीगेशन की तारीफ की. हालांकि पीएमओ ने जम्मू-कश्मीर को लेकर किसी भी तरह की वार्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. माना जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने जाएगा.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी ने डेलीगेशन से कहा, आतंकवाद या इस तरह की किसी भी गतिविधि को समर्थन देने वाली सभी शक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. उस देश के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो आतंकवाद को नैतिक रूप से समर्थन देता हो. एक तरह से आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए.
इसी साल 5 अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था. यही नहीं, जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांट दिया था. दोनों राज्य 31 अक्टूबर से केंद्र शासित प्रदेश होंगे. जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू को प्रशासक नियुक्त भी कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता रहा है.
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पाकिस्तान का आरोप है कि कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है और पूरा जम्मू-कश्मीर कर्फ्यू में जीवन जी रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि राज्य में कुछ समय के लिए जो भी प्रतिबंध लगाए गए थे, वे सब हटा लिए गए हैं. मोबाइल और इंटरनेट सेवा भी बहाल कर दी गई है. स्कूल-कॉलेज सब खुल गए हैं.
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी चिल्ल-पों की, लेकिन चीन, मलेशिया और तुर्की को छोड़कर किसी भी देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया. यहां तक कि इस्लामिक देशों ने भी पाकिस्तान से इस मुद्दे पर दूरी बना ली. पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में भी यह मुद्दा उठाया, लेकिन वहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी.
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पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अपने देश में कश्मीर ऑवर का आह्वान किया, जो फ्लॉप रहा. इमरान खान खुद अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से अब तक 3 बार पीओके का दौरा कर चुके हैं. पाकिस्तानी सेना ने एलओसी मार्च बुलाया था. कश्मीर की आजादी का हल्ला मचाने वाले पाकिस्तान के हुक्मरानों को तब भी होश नहीं आया, जब बलूचिस्तान और पीओके से आजादी की आवाज और बुलंद होती जा रही है.
HIGHLIGHTS
- कश्मीर पर चीन, मलेशिया और तुर्की को छोड़ किसी ने नहीं दिया भारत का साथ
- पाकिस्तान ने भारत को बदनाम करने की हरसंभव कोशिश की पर नाकाम रहा
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो