टेस्ट में 300 विकेट लेने वाले आठवें ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज बने पैट कमिंस
पूरा महाराष्ट्र हादसे के पीड़ितों के दुख में शामिल : देवेंद्र फडणवीस
सीएम रेखा गुप्ता ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के विकास कार्यों की समीक्षा की
'दुख की घड़ी में हैं भारत के साथ', अहमदाबाद में हुए विमान हादसे पर दुनिया भर के नेताओं ने जताया शोक
डब्ल्यूटीसी फाइनल : दूसरे दिन गिरे 14 विकेट, दूसरी पारी में शुरुआती झटकों के बाद संभली ऑस्ट्रेलियाई टीम
अहमदाबाद विमान हादसा: जयराम रमेश ने विजय रूपाणी के साथ अपनी दोस्ती को याद किया
'राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे', ऐसा नहीं कहा तो पार्टी से निकाला : लक्ष्मण सिंह
Haridwar Firing Case: पुलिस ने फगवाड़ा से दो शूटरों को दबोचा, गैंगवार की पुरानी रंजिश निकली वजह
Karishma Kapoor ex husband died: नहीं रहे करिश्मा कपूर के एक्स पति संजय कपूर, पति पर गंभीर आरोप लगा लिया था तलाक

खतरे में है हमारी पृथ्वी, दोगुनी रफ्तार से पिघल रहे हैं ग्लेशियर

यह बात साइंस जर्नल 'साइंस एडवांसेज' में छपे एक रिसर्च में सामने आई है.

यह बात साइंस जर्नल 'साइंस एडवांसेज' में छपे एक रिसर्च में सामने आई है.

author-image
yogesh bhadauriya
एडिट
New Update
खतरे में है हमारी पृथ्वी, दोगुनी रफ्तार से पिघल रहे हैं ग्लेशियर

हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार दो गुना हो गई है.

पर्यावरण को लेकर हुए एक ताजा शोध में दुनिया के अस्तित्व को लेकर बेहद चिंताजनक बात सामने आई है. यह बात साइंस जर्नल 'साइंस एडवांसेज' में छपे एक रिसर्च में सामने आई है. देश में भीषण गर्मी और सूखे की मार के बीच ये रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो दशकों में हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार दो गुना हो गई है.

Advertisment

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और कई वैज्ञानिकों की ओर से की गई इस रिसर्च में खुलासा हुआ है कि तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियरों से हर साल 800 करोड़ टन बर्फ गायब हो रही है. पर्याप्त मात्रा में हिमपात न होने की वजह से इस कमी की भरपाई नहीं हो पा रही है.

ग्लोबल वॉर्मिंग का नतीजा

साइंस एडवांसेज की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गर्मी में तेजी से बर्फ पिघलना बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग का नतीजा है. हिमालय के 10 हजार ग्लेशियरों में 60,000 करोड़ टन बर्फ मौजूद है. हर साल 800 करोड़ टन बर्फ पिघल रही है.

करीब 650 ग्लेशियरों के स्टडी से लिए गए आंकड़े बताते हैं कि साल 1975 और 2000 के बीच ग्लेशियर सालाना औसतन 10 इंच पिघल रहे थे. लेकिन उसके बाद 2003-2016 के बीच इनके पिघलने की रफ्तार 20 इंच (करीब आधा मीटर) हो गई.

स्टडी में इन बातों का हुआ खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक, हिमालय रेंज में कम ऊंचाई वाले ग्लेशियर तो दस गुना रफ्तार से पिघल रहे हैं. गंगोत्री, यमुनोत्री, सतोपंथ, चौराबी, भगीरथ-खर्क ग्लेशियर खतरे में है. ये ग्लेशियर भारत के जल स्तंभ कहे जाते हैं. देश की 40% आबादी के लिए ये ग्लेशियर बेहद अहम हैं.

इस साल फरवरी में जानी-मानी संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) की एक रिसर्च ने चेतावनी दी थी कि अगले कुछ सालों में हिन्दुकुश-हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों के एक तिहाई हिस्से का पिघलना हर हाल में तय है.

भारत, पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की आबादी को इन ग्लेशियरों के पिघलने का सबसे बड़ा नुकसान होगा. दुनिया की गरीब आबादी का एक बड़ा हिस्सा भी इन देशों में ही है. पिछले साल UN के तहत काम करने वाली वैज्ञानिकों की संस्था IPCC ने कहा था कि सभी देशों को 2005 के स्तर पर होने वाले कार्बन उत्सर्जन को साल 2030 तक 45% कम करने की जरूरत है.

Source : News Nation Bureau

Glaciers global warming earth temperature Science journal temperature Science advances glaciers are melting Heat Environment
      
Advertisment