कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे अपने यहां की अदालतों में लंबित पड़े 10 साल या इससे अधिक पुराने मामलों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करें. लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बसपा के दानिश अली, तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी रॉय और कांग्रेस के के. सुधाकरन के पूरक प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने यह टिप्पणी की. प्रसाद ने कहा कि न्याय देना न्यायाधीशों का काम है और सरकार का काम आधारभूत अवसंरचना प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों का लंबे समय से लंबित रहना चिंता का विषय है.
ऐसे में मैं सभी मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह करना चाहता हूं कि 10 साल या इससे अधिक पुराने मामलों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित किया जाए.’’ मंत्री ने कहा कि सभी दीवानी और फौजदारी मामलों का निपटारा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से अदालतों पर बोझ कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. 19,414 अदालत भवन बनाए गए हैं.
प्रसाद ने यह भी कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा सजा काट चुके लोगों को जेल से बाहर निकालने से जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. 25 फीसदी सजा काट चुकी महिला कैदियों को भी छोड़ा जाना चाहिए. पश्चित उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि कानूनी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद ही यह किया जा सकता है.
Source : Bhasha