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भारत ने रूस को बताया, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं

पुतिन के दौरे से पहले भारत ने रूस से साफ कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है और वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वृहद ढांचे का इच्छुक है.

Updated on: 23 Sep 2018, 10:28 PM

नई दिल्ली:

अगले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे से पहले भारत ने रूस से साफ कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है और वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वृहद ढांचे का इच्छुक है. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है. दरअसल, अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका के लिए प्रयासरत है, जिसे कई देश क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं.

हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत की भागीदारी का मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच बातचीत में प्रमुखता से उठा.

सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंद-प्रशांत के लिए 'समग्रता के नजरिए' को स्वीकारते हुए रूसी पक्ष ने महसूस किया कि ऐसे देश हो सकते हैं जो अपने हितों को पूरा करने के लिए हिंद-प्रशांत कॉन्सेप्ट में 'हेरफेर' करने का प्रयास कर रहे हों.

हालांकि स्वराज ने स्पष्ट रूप से लावरोव से कहा कि भारत ने हमेशा जिम्मेदारी से काम किया है और वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी को साथ लाने का प्रयास कर रहा है.

एक सरकारी सूत्र ने बताया, 'विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत की भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है.' आपको बता दें कि पुतिन अगले महीने भारत आनेवाले हैं और सालाना भारत-रूस समिट के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा हालात पर चर्चा हो सकती है.

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पिछले साल नवंबर में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने लंबित चतुष्कोणीय गठबंधन को आकार दिया था. इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख समुद्री मार्गों को किसी के प्रभाव से मुक्त रखने के लिए नई रणनीति तैयार करना बताया गया है.