ईडी के खिलाफ एलायंस विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया
ईडी के खिलाफ एलायंस विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया
बेंगलुरू:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए एलायंस यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर मधुकर जी. अंगुर ने न्यायिक हिरासत में भेजने संबंधी निचली आदेश को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया है।उन्होंने जमानत याचिका भी दायर की है जिस पर सुनवाई होनी बाकी है।
अंगुर ने अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी पहली याचिका में दावा किया है कि सीआरपीसी की धारा 167 केवल पुलिस पर लागू होती है और यह एजेंसी पर लागू नहीं होती है। उन्होंने याचिका में कहा है कि ईडी के साथ-साथ अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 167 के तहत दायर मामला कानून के तहत विचारणीय नहीं है।
अपने वकील के माध्यम से दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि वह हर मौके पर जांच में शामिल हुए हैं और कहीं भाग नहीं रहे हैं। उन्होंने ईडी पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
ईडी ने शनिवार को मधुकर जी. अंगुर को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 4,500 छात्रों के अभिभावकों से 107 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर विश्वविद्यालय के धन की हेराफेरी करने के मामले में गिरफ्तार किया।
इससे पहले बेंगलुरु पुलिस ने अंगुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत चार अलग-अलग मामले दर्ज किए थे।
ईडी ने उसके खिलाफ दर्ज इन एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। ईडी ने पाया कि वह कथित तौर पर विभिन्न तरीकों से मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे।
मधुकर अंगूर, प्रियंका बी.एस. और रवि कुमार, तीनों आरोपियों ने 2016 और 2017 के बीच, एलायंस यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के परिसर में जाकर छात्रों के माता-पिता को ईमेल और नोटिस के माध्यम से एलायंस यूनिवर्सिटी के आधिकारिक खातों में शुल्क जमा नहीं करने को कहा। इसके बजाय उन्होंने अभिभावकों अपने बच्चों की फीस मधुकर अंगुर और अन्य द्वारा अवैध रूप से खोले गए बैंक खातों में श्रीवारी एजुकेशनल सर्विसेज के नाम पर जमा करने के लिए कहा।
इस तरह लगभग 4,500 छात्रों के माता-पिता को अवैध रूप से खोले गए बैंक खातों में फीस जमा करने के लिए मजबूर किया गया और 107 करोड़ रुपये की राशि मधुकर अंगुर और अन्य द्वारा ट्यूशन फीस, छात्रावास शुल्क और अन्य शुल्क के तौर अवैध रूप से जमा करा ली गई।
आरोपी को शनिवार को शहर के दीवानी और सत्र न्यायाधीश और पीएमएलए मामलों के विशेष न्यायाधीश के समक्ष बेंगलुरु में पेश किया गया। ईडी ने आरोपी की न्यायिक हिरासत की मांग की थी। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ईडी को उसे सात दिनों की रिमांड पर लिए रिमांड पर सौंप दिया।
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