रांची के बहुचर्चित जमीन घोटाले में ईडी की जांच में फर्जीवाड़े के कई नए और चौंकाने वाले चैप्टर खुल रहे हैं। घोटालेबाजों ने कोलकाता के रजिस्ट्री ऑफिस में रखे आजादी के पहले के जमीन-जायदाद के डीड और मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर फर्जी डीड तैयार किए और उनके आधार पर रांची में करीब 100 एकड़ जमीनें बेच दीं।
फॉरेंसिक जांच में ऐसे 36 डीड फर्जी पाए गए हैं। जिन दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर फर्जीवाड़ा किया गया है, वे सभी भारत की आजादी यानी 1947 के पहले के हैं। ईडी के इस खुलासे के बाद कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस ने हेयर स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
दरअसल, रांची में सेना के कब्जे वाली तकरीबन साढ़े चार एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान बीते 13 अप्रैल को ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन समेत उनके कई करीबियों के ठिकानों पर दबिश दी थी। इनमें अफसर अली खान के ठिकाने से जमीन-जायदाद के 36 डीड बरामद हुए थे। सभी दस्तावेज कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय से संबंधित थे। इस सिलसिले में ईडी ने कोलकाता के सब रजिस्ट्रार त्रिदीप मिश्रा से बीते मई महीने में पूछताछ की थी।
अब 36 जमीनों के डीड फर्जी पाए जाने के बाद ईडी की जांच का दायरा बढ़ गया है। माना जा रहा है कि फर्जी डीड के आधार पर 100 एकड़ से भी अधिक की जमीन की खरीद-फरोख्त में हजारों करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। इसमें झारखंड से लेकर बंगाल तक के कई अफसर, रसूखदार और जमीन की खरीद-बिक्री में संलिप्त रहे 100 से भी अधिक लोग ईडी जांच की रडार पर आ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि आजादी के पहले और इसके बाद भी कई वर्षों तक झारखंड-बिहार की जमीनों की रजिस्ट्री बंगाल में होती थी। रांची जमीन घोटाले में ईडी अब तक रांची के पूर्व डीसी आईएएस छवि रंजन, कोलकाता के कारोबारी और जगत बंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप घोष व अमित अग्रवाल, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, रांची के बड़ागाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद सहित दस लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इन सभी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी फाइल की जा चुकी है।
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Source : IANS