प्रवर्तन निदेशालय क्रिप्टो-करेंसी से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के तहत कई मामलों की जांच कर रहा है।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि अब तक 953.70 करोड़ रुपये के अपराध की सामग्री को कुर्क, जब्त या फ्रीज कर दिया गया, जबकि पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। विशेष अदालत, पीएमएलए के समक्ष छह अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई हैं जिसमें एक शिकायत पूरक अभियोजन की भी है।
इसके अलावा जवाब में कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत 289.28 करोड़ रुपये की संपत्ति फेमा की धारा 37 ए के तहत जब्त की गई है। क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंज जनमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों को भी एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जो ऐसे मामले में है जिसमें 2790.74 करोड़ रुपए की क्रिप्टो-करेंसी को लेनदेन में शामिल है।
जवाब में कहा गया कि आरबीआई 24 दिसंबर 2013, 1 फरवरी 2017 और 5 दिसंबर 2017 को सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से वर्चुअल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को इस बात के लिए सर्तक कर दिया है कि क्रिप्टो-करेंसी कारोबार संभावित आर्थिक, वित्तीय, परिचालन, कानूनी, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी जोखिमों से जुड़ा है।
वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) प्लेनरी ने जी-20 मंत्रियों के अनुरोध पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के लिए वर्चुअल संपत्ति के बढ़ते उपयोग का जवाब देने के लिए एफएटीएफ मानकों पर चर्चा की और संशोधनों को अपनाया।
इसमें एफएटीएफ की सिफारिशों और शब्दावली में संशोधन शामिल है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि वर्चुअल संपत्ति के मामले में एफएटीएफ की आवश्यकताएं किन व्यवसायों और गतिविधियों पर लागू होती हैं।
एक्सचेंजों और वॉलेट प्रदाताओं को एएमएल/सीएफटी नियंत्रणों को लागू करने और राष्ट्रीय प्राधिकरणों द्वारा लाइसेंस प्राप्त या पंजीकृत और पर्यवेक्षण या निगरानी करने की आवश्यकता होगी।
जवाब में यह भी कहा कि मानकों को मजबूत करना एक व्यापक ²ष्टिकोण का हिस्सा है जिसे एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के लिए आभासी संपत्ति गतिविधियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए विकसित किया है।
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Source : IANS