ईडी ने आईएमएस घोटाले में पीएमएलए के तहत 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की
ईडी ने आईएमएस घोटाले में पीएमएलए के तहत 144 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की
नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि उसने तेलंगाना के आईएमएस घोटाले में तत्कालीन बीमा चिकित्सा सेवा निदेशक (आईएमएस) देविका रानी और अन्य अधिकारियों, उनके परिवार के सदस्यों और दवा आपूर्तिकर्ताओं की 144.4 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया है।ईडी ने कहा, धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत कुर्क की गई संपत्ति चल और अचल संपत्ति दोनों के रूप में है।
जांच एजेंसी ने तेलंगाना एसीबी, हैदराबाद द्वारा आईएमएस, तेलंगाना के अधिकारियों के साथ-साथ निविदा प्रक्रिया में उल्लंघन, सरकारी धन की हेराफेरी के लिए आईएमएस को दवाओं के आपूर्ति करने वालों सहित निजी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज 8 प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। कहा गया है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को 211 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
यह कहते हुए कि चिकित्सा वस्तुओं को भारी कीमतों पर खरीदा गया, वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा, तत्कालीन आईएमएस निदेशक ने आईएमएस के संयुक्त निदेशक डॉ. के. पद्मा और आईएमएस के अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर सरकारी आदेशों और सभी विवेकपूर्ण कार्यालय प्रक्रियाओं के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया है और ज्यादातर आपूर्तिकर्ता के. श्रीहरि बाबू से संबंधित फर्मो को खरीद आदेश जारी किए हैं। ये डॉ. देविका रानी, पी. राजेश्वर रेड्डी आदि द्वारा स्थापित बेनामी फर्मे हैं।
औषधालयों के मांगपत्र और दवाओं के स्टॉक रजिस्टर फर्जी तौर पर गढ़े गए थे।
ईडी ने कहा कि आईएमएस के संयुक्त निदेशक को चिकित्सा शिविरों के नाम पर दवाओं और आपूर्ति की हेराफेरी करते हुए पाया गया।
पेटेंट उत्पादों को चक्रीय तरीके से बेचा गया और अंतत: आईएमएस द्वारा उनकी सामान्य बाजार दर से 4-5 गुना पर खरीदा गया।
आईएमएस के निदेशक, फार्मासिस्ट नागलक्ष्मी और उनके परिवारों ने रिश्वत के पैसे को छिपाने के लिए पीएमजे ज्वेलर्स के साथ मिलकर साजिश रची और एक वर्ष की अवधि में अपने रिश्वत के पैसे में नियमित रूप से इजाफा किया और आय से लगभग 6.28 करोड़ रुपये महंगे आभूषण खरीदे, जो अपराध है।
ईडी के अनुसार, आरोपी ने प्रमुख अचल संपत्ति खरीदने के लिए अग्रिम राशि के तौर पर बड़ी रकम भी दी।
रकम भी उनके बैंक खातों में नियमित अंतराल पर जमा की जाती थी। अचल संपत्तियों को खरीदने के लिए उसी का इस्तेमाल किया गया था।
उनके व्यक्तिगत बैंक खातों या विभिन्न मुखौटा फर्मो के खातों में अतिरिक्त लाभ या नकद प्रवाह दिखाकर अपराध की आय को अच्छी तरह से बहुस्तरीय बनाया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने फंड ट्रेल जांच की है और अब तक हैदराबाद, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बेंगलुरु और नोएडा में और उसके आसपास 97 भूखंडों, 6 विला, 18 वाणिज्यिक दुकानों, 6 कृषि भूमि और 4 फ्लैटों वाली 131 अचल संपत्तियों की पहचान की और उन्हें कुर्क किया। इन आरोपियों द्वारा चल संपत्ति प्रतिभूतियों और सावधि जमा के रूप में अर्जित की गई कुल रकम 144.4 करोड़ रुपये है।
जांच एजेंसी ने कहा कि आगे की जांच जारी है।
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