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एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आईपीएस राजेश पांडेय बने 'पैडमैन', जानिए क्या है वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए जरूरी सैनिटरी नैपकिन के महत्व पर चर्चा की थी. यह पहला मौका था, जब किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से उस विषय पर चर्चा की

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Ravindra Singh
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आईपीएस राजेश पांडेय बने पैडमैन( Photo Credit : आईएएनएस)

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अपराधियों के छक्के छुड़ा देने के लिए मशहूर यूपी के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आईपीएस राजेश पांडेय अब 'पैडमैन' के अवतार में हैं. उन्होंने ऐसा काम कर दिखाया, जिससे महिलाओं की तकलीफें दूर हुईं हैं. उनकी पहल से यूपी के चार जिलों की महिलाओं को सस्ते दर पर पैड मिलने लगा तो बरेली के पुलिस मॉडर्न स्कूल में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगने से वहां पढ़ने वालीं सैंकड़ों लड़कियों की परेशानी दूर हुई हैं. बरेली के डीआईजी राजेश पांडेय ने बाजार से भी अच्छी क्वालिटी का पैड उपलब्ध कराने के लिए पुलिस लाइन में एक फैक्ट्री ही स्थापित कराई है.

इस यूनिट से बरेली मंडल के शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत सहित चारों जिलों में छह हजार से अधिक महिला पुलिसकर्मियों, परिवार की महिलाओं और बेटियों को गुणवत्तायुक्त सैनेटिरी नैपिकन मिल रहे हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से पैड बनाने की यह पहली यूनिट है. पुलिस की कैंटीन से आम महिलाओं को भी पैड मिल रहे हैं. पैड बनाने से लेकर पैकेटिंग का सारा काम महिला सिपाही संभाल रहीं हैं.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए जरूरी सैनिटरी नैपकिन के महत्व पर चर्चा की थी. यह पहला मौका था, जब किसी प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से उस विषय पर चर्चा की, जिस पर इस जमाने में भी लोग बात करने से कतराते रहे हैं. महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े इस विषय को सोशल टैबू के तौर पर लिया जाता रहा है.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की 2015-16 की रिपोर्ट कहती है कि देश में 62 फीसदी महिलाएं पीरियड्स के दौरान पैड के अभाव में कपड़े का इस्तेमाल करतीं हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश की लगभग 70 फीसदी महिलाओं की सेनेटरी उत्पादों तक पहुंच ही नहीं है. जिससे वे गंभीर बीमारियों का शिकार होतीं हैं. ऐसे में बरेली के डीआईजी राजेश पांडेय ने अपनी उस मुहिम को तेज गति देनी शुरू की, जो उन्होंने लॉकडाउन से पहले शुरू की थी. डीआईजी राजेश पांडेय ने बरेली पुलिस लाइन में सैनिटरी पैड यूनिट स्थापित करने के लिए एक कमेटी बनाई.

इस कमेटी ने दिल्ली, नोएडा और गुजरात में पैड बनाने वाली मशीनों की कीमत का सर्वे किया. करीब साढ़े चार लाख रुपये की सेमी ऑटोमैटिक मशीन को उपयुक्त पाया गया. राजेश पांडेय की इस पहल से जुड़ते हुए इंडियन ऑयल कारपोरेशन ने सीएसआर फंड से मशीन खरीदकर कर पुलिस लाइन में यूनिट स्थापित की. अब बरेली पुलिस लाइन में 19 अक्टूबर से प्रोडक्शन और पैकेटिंग का काम महिला सिपाहियों ने शुरू कर दिया है. हरियाणा से कच्चा माल मंगाया जाता है. पैकेटिंग के लिए किसी भी प्रकार की प्लास्टिक प्रयोग नही कया गया है.

डीआईजी राजेश पांडेय ने मीडिया से बातचीत में बताया, "पुलिस लाइन में स्थापित यूनिट से एक घंटे में दो सौ पैड बन रहे हैं. एक पैड बनाने में 2.15 रुपये में खर्च आता है. ऐसे में सात पैड का एक पैकेट 15 रुपये में महिलाओं को मिल रहा है. आम जन भी परिवार की महिलाओं के लिए पुलिस कैंटीन से गुणवत्तायुक्त पैड खरीद सकते हैं. बरेली स्थित पुलिस मॉडर्न स्कूल में पढ़ने वालीं छह सौ लड़कियों के लिए भी इंडियन ऑयल कारपोरेशन से कहकर एक मॉडर्न टॉयलेट की भी व्यवस्था कराई गई."

राजेश पांडेय ऐसे पुलिस अफसर हैं, जिन्हें बहादुरी के लिए 4 बार गेलेंट्री अवार्ड मिल चुका है. यूपी में कभी आतंक का पर्याय बन चुके माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला सहित कई कुख्यात अपराधियों और बनारस बम ब्लास्ट में शामिल लश्कर-ए-तैय्यबा के मुख्य आतंकी सलार जंग सहित दर्जनों एनकाउंटर करने के लिए राजेश पांडेय जाने जाते हैं. भारत सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में एक साल के लिए कोसोवो में भी तैनात रहे. यूपी एसटीएफ के संस्थापक सदस्य भी रहे. तकनीक के जरिए अपराधियों के गिरेबान तक पहुंचकर उन्हें ढेर करने में उन्हें महारथ हासिल है.

Source : News Nation Bureau

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