ओम बिरला ने बतौर लोक सभा अध्यक्ष सोमवार को अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए। सोमवार को लोक सभा अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर में लोक सभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आयोजित चिंतन शिविर के समीक्षा सत्र की अध्यक्षता करते हुए इस बात पर जोर दिया कि लोक सभा सचिवालय में कार्य संस्कृति ऐसी होनी चाहिए कि वह देश भर के कार्यालयों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करे। बिरला ने सचिवालय के कर्मचारियों से परिवर्तन और सुधार की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार के रूप में कार्य करने का आान करते हुए कहा कि उन्हें खुद को बेहतर बनाने के अवसरों का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
इस मौके पर वर्तमान, 17वीं लोकसभा के चार साल पूरे होने पर हासिल की गई कई उपलब्धियों पर भी चर्चा की गई। आपको बता दें कि, सार्थक और उद्देश्यपूर्ण चर्चा और विचार-विमर्श को सुविधाजनक बनाने के लिए एवं लोक सभा सचिवालय के अधिकारियों की आकांक्षाओं से जुड़े प्रशासनिक मुद्दों पर चिंतन करने के लिए इस तरह के चिंतन शिविर का आयोजन किया जाता है। इसी वर्ष अप्रैल और मई में भी चिंतन शिविर के दो चरणों का आयोजन किया गया था।
पिछले चार सालों के दौरान लोक सभा में ऐतिहासिक कामकाज का जिक्र करते हुए यह दावा किया गया कि 17वीं लोकसभा कई उपलब्धियों की साक्षी रही है। यहां तक कि कोविड-19 भी 17वीं लोक सभा के सदस्यों के उत्साह को डिगा नहीं सका। कई मौकों पर महामारी और संसद के सत्रों में कटौती से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, 17 वीं लोकसभा के पहले ग्यारह सत्रों में 230 बैठकें हुईं, जो 16 वीं लोकसभा की तुलना में अधिक हैं।
17वीं लोकसभा के पहले ग्यारह सत्रों के दौरान, कुल 169 सरकारी विधेयक पारित किए गए हैं, जो 15वीं और 16वीं लोकसभा के पहले ग्यारह सत्रों की तुलना में काफी अधिक है, जिनमें क्रमश: 140 और 134 सरकारी विधेयक पारित किए गए थे।
17वीं लोकसभा के पहले ग्यारह सत्रों के दौरान कुल 2,405 बार सदस्यों ने सरकारी विधेयकों पर चर्चा में भाग लिया, जिसमें 367 बार महिला सदस्यों की भागीदारी भी शामिल है। 17वीं लोकसभा विधायी कार्यों में सुधार, नीति-निर्माण और कार्यक्रम कार्यान्वयन में महिला सदस्यों की भूमिका सुनिश्चित करने में भी अग्रणी रही है। पिछले चार वर्षों में, 367 महिला सदस्यों ने विधेयकों पर चर्चा में भाग लिया।
17वीं लोक सभा के ग्यारहवें सत्र तक उत्पादकता यानी सदन में कामकाज की दर 93.09 प्रतिशत रही, जो 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा की इसी अवधि की तुलना में अधिक है। लोक सभा सचिवालय ने 17वीं लोक सभा के दौरान अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर नियम 377 के तहत उठाए गए मामलों पर मंत्रालयों के उत्तरों की निगरानी शुरू कर दी है। शीघ्र उत्तर सुनिश्चित करने के लिए, मामलों को लगातार मंत्रालयों के साथ रखा गया था। परिणामस्वरूप, 17वीं लोकसभा के पहले से 11वें सत्र के दौरान नियम 377 के तहत मामलों के उत्तरों का प्रतिशत बढ़कर 89.92 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि के दौरान 15वीं और 16वीं लोकसभा में यह क्रमश: 56.76 प्रतिशत और 43.87 प्रतिशत था।
संसद के बेहतर और अधिक प्रभावी कामकाज के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए भी सदस्यों को लगातार प्रोत्साहित किया गया, जिसके कारण पिछले चार वर्षों के दौरान लोक सभा सचिवालय में प्रौद्योगिकी के उपयोग में काफी वृद्धि हुई है। सदस्य अब अधिकतम संभव सीमा तक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से नोटिस जमा कर रहे हैं और परिणामस्वरूप 17 वीं लोक सभा के 11वां सत्र तक प्राप्त ई-नोटिस का प्रतिशत 16वीं लोकसभा के 44.22 प्रतिशत से बढ़कर 95.94 प्रतिशत हो गया है।
खर्च पर प्रभावी निगरानी और मितव्ययिता के परिणामस्वरूप 17वीं लोक सभा के पिछले चार सालों के 2019 से 2023 के दौरान लोक सभा ने 801.46 करोड़ रुपये की बचत की जो 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा से काफी अधिक है।
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Source : IANS