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आपात चिकित्सा और ट्रॉमा केयर को चिकित्सा शिक्षा स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत : नायडू

एशियाई देशों के 10वें सम्मेलन (एसीईएम 2029) को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा आपात चिकित्सा की जरूरत और महत्व को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है.

Updated on: 07 Nov 2019, 06:52 PM

दिल्ली:

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत में सड़क हादसों और अन्य आपदाओं में मानव जीवन के बढ़ते नुकसान के मद्देनजर चिकित्सा शिक्षा स्नातक पाठ्यक्रम में आपात चिकित्सा और ‘ट्रॉमा केयर’ को भी शामिल करने की जरूरत पर बल दिया है. भारत में अभी आपात चिकित्सा और ट्रॉमा केयर को चिकित्सा शिक्षा परास्नातक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाता है. नायडू ने बृहस्पतिवार को आपात चिकित्सा (इमरजेंसी मेडीसिन) पर आयोजित एशियाई देशों के 10वें सम्मेलन (एसीईएम 2029) को संबोधित करते हुए कहा आपात चिकित्सा की जरूरत और महत्व को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत जैसे देशों मे जहां आधी से अधिक आबादी गांव में रहती है और हादसों में असमय मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही हो, वहां हर गांव में आपात चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षित कम से कम एक चिकित्सक का होना जरूरी है.’’ नायडू ने कहा, ‘‘ग्रामीण आबादी को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना राष्ट्रीय विकास का महत्वपूर्ण अंग है. यह भी समान रूप से महत्वपूर्ण है कि सभी गांव आपात चिकित्सा सेवाओं के नेटवर्क से जुड़े हुए हों. व्यवस्थित आपात चिकित्सा सेवाएं गंभीर स्थित में जीवन बचाने में बहुत उपयोगी होती हैं.’’ उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा शिक्षा के छात्रों को आपात चिकित्सा के प्रशिक्षण से लैस करने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि उन्हें यह जानकार खुशी हुयी कि सरकार ने ट्रॉमा केयर को बेहतर बनाने के लिये देश के सभी मेडिकल कालेजों में 2022 तक आपात चिकित्सा विभाग शुरु करने को अनिवार्य घोषित किया है.

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इस सम्मेलन का आयोजन करने वाली संस्था एशिया आपात चिकित्सा संघ की भारत इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डाक्टर बी हरिप्रसाद ने कहा कि भारत में आपात चिकित्सा क्षेत्र को चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण की मान्यता दी जा चुकी है, इसके बावजूद प्रशिक्षित डाक्टरों को प्रैक्टिस का लाईसेंस नहीं दिया जाता है. प्रसाद ने कहा कि भारत के प्रशिक्षित डाक्टर ब्रिटेन सहित अन्य देशों मे प्रैक्टिस का लाईसेंस हासिल कर अपनी सेवाएं देते हैं लेकिन भारत इन सेवाओं से वंचित है.

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नायडू ने इस विषय पर स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विचार विमर्श करने का भरोसा दिलाया. सम्मेलन में एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डा. टेमोरिश कोले ने आपात चिकित्सा के विश्वव्यापी महत्व का जिक्र करते हुये कहा कि भारत में शिक्षित और प्रशिक्षण आपात चिकित्सा व्यवसायी एशिया सहित दुनिया के तमाम देशों में अपनी सेवायें दे रहे हैं. उन्होंने इसके पाठ्यक्रम को पेशेवर बनाने की जरूरत पर बल दिया.