डीएसजीएमसी चुनाव में योग्य मतदाताओं की संख्या घटकर हुई 3.42 लाख

डीएसजीएमसी चुनाव में योग्य मतदाताओं की संख्या घटकर हुई 3.42 लाख

डीएसजीएमसी चुनाव में योग्य मतदाताओं की संख्या घटकर हुई 3.42 लाख

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IANS
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Electronic Voting

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के रविवार को होने वाले चुनाव के लिए हुए कुल पात्र मतदाताओं की संख्या 2017 में हुए पिछले चुनावों के दौरान पंजीकृत कुल पात्र मतदाताओं की तुलना में कम हो गई है।

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छठे डीएसजीएमसी चुनावों के लिए, दिल्ली के लगभग 3.42 लाख निवासी, जो सिख समुदाय से हैं, को योग्य मतदाता के रूप में पंजीकृत किया गया है, जबकि पिछले चुनावों के दौरान योग्य मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 3.86 लाख थी।

डीएसजीएमसी के एक वरिष्ठ सदस्य के अनुसार, इस साल के चुनाव के लिए तैयार की गई ताजा मतदाता सूची से कुल 92,000 नाम हटा दिए गए हैं, जबकि इस बार 48,000 नए नाम जोड़े गए हैं।

वे लोग चुनाव लड़ने वाले 312 उम्मीदवारों में से डीएसजीएमसी के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अपना वोट डालेंगे।

कुल 312 उम्मीदवारों में से 180 पंजीकृत दलों के हैं जबकि 132 निर्दलीय उम्मीदवार हैं।

डीएसजीएमसी सदस्यों की लगातार मांग रही है कि सभी पात्र मतदाताओं के नाम उनकी तस्वीरों के साथ बताए जाएं, लेकिन सूची में लगभग 20 प्रतिशत नाम बिना फोटो के हैं। डीएसजीएमसी अधिनियम में आखिरी बार 2010 में संशोधन किया गया था और तब से चुनाव उसी के अनुसार होते हैं।

दिल्ली के 46 नगरपालिका वाडरें में मतदान होगा जिसके लिए 546 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग होगी।

दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव पारदर्शी तरीके से हो, दिल्ली सरकार के 23 अधिकारियों को रिटनिर्ंग ऑफिसर (आरओ) और 46 सहायक रिटनिर्ंग ऑफिसर (एआरओ) के रूप में नियुक्त किया गया है।

पांच पंजीकृत दल डीएसजीएमसी चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें तीन मुख्य दल शिरोमणि अकाली दल (बादल), डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके के जग आसरा गुरु ओट (जागो) और परमजीत सिंह सरना के नेतृत्व वाली शिअद (दिल्ली) शामिल हैं, जिसका पूर्व अकाल तख्त जत्थेदार रणजीत सिंह के नेतृत्व वाले पंथिक अकाली लहर के साथ गठबंधन है।

डीएसजीएमसी के सदस्य इंदर मोहन सिंह ने कहा, हम यह नहीं मान सकते हैं कि कौन सी पार्टी बहुमत के साथ चुनी जाएगी, लेकिन समुदाय के लोग वर्तमान समिति से खुश हैं, क्योंकि समिति ने पिछले दो वर्षों से आम सभा की बैठक और कार्यकारी बैठक नहीं बुलाई है। हालांकि, वर्तमान समिति ने कई विकास किए हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान व्यवस्था में समन्वय की कमी रही है।

सिंह ने कहा कि डीएसजीएमसी एक गैर-राजनीतिक निकाय है और इसे कुछ नियमों और विनियमों के साथ स्थापित किया गया था, जिसमें इसके सदस्य किसी भी राजनीतिक दल या गतिविधियों से जुड़े नहीं होंगे।

सिंह ने कहा, कई सदस्य खुद को राजनेता के रूप में स्थापित करने के लिए डीएसजीएमसी चुनाव लड़ते हैं। यह एक धार्मिक और गैर-राजनीतिक निकाय है और इसे इसे बनाए रखा जाना चाहिए।

इससे पहले, डीएसजीएमसी के चुनाव 23 अप्रैल को निर्धारित किए गए थे, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण स्थगित कर दिए गए थे और अब इसे 22 अगस्त के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है।

2017 में हुए पिछले डीएसजीएमसी चुनावों के दौरान, लगभग 45 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना वोट डाला था।

1971 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम के तहत दिल्ली सरकार के गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय की स्थापना के बाद 1974 में पहला डीएसजीएमसी चुनाव हुआ था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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