बरसाती मेढ़क की तरह पांचवे साल में निकल रहे हैं विपक्षी दल : भाजपा के चुनाव सह प्रभारी कैप्टन अभिमन्यु
बरसाती मेढ़क की तरह पांचवे साल में निकल रहे हैं विपक्षी दल : भाजपा के चुनाव सह प्रभारी कैप्टन अभिमन्यु
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही भाजपा ने बूथ स्तर तक जाकर मतदाताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। भाजपा के विरोधी अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी ने भी वोटरों को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी है।बसपा सुप्रीमो मायावती भी लगातार योगी सरकार पर हमला बोलते हुए उत्तर प्रदेश के वोटरों को अपने राज की याद दिला रही है। विरोधी दलों की इस घेरेबंदी के बीच भाजपा मतदाताओं तक किस तरह से पहुंच रही है ? किस तरह से चुनाव की रणनीति को अमलीजामा पहनाने में लगी हुई है ? कितनी सीटों पर जीत हासिल करने के लक्ष्य को लेकर चुनावी मैदान में उतरने जा रही है ? इन तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक ने भाजपा नेता, हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री और उत्तर प्रदेश के चुनाव सह-प्रभारी कैप्टन अभिमन्यु से खास बातचीत की। पेश है उसके कुछ अंश,
सवाल - उत्तर प्रदेश के चुनाव सह प्रभारी के तौर पर आपने पिछले दिनों में कई बार प्रदेश का दौरा किया । चुनाव की तैयारियों को लेकर संगठन की मैराथन बैठक में शामिल हुए । विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा की क्या तैयारियां चल रही है?
जवाब - यूपी की योगी और केंद्र की मोदी सरकार के अच्छे काम के बल पर भाजपा कार्यकर्ता एक मजबूत संगठन बनाकर हर बूथ पर सक्रिय भूमिका में लगा हुआ है और अभी से अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से घर-घर संपर्क किया जा रहा है। भाजपा की कोशिश है कि समाज के हर वर्ग, हर तबके तक हमारा कार्यकर्ता पहुंचे। हर दरवाजे पर भाजपा कार्यकर्ता दस्तक दे। बूथ स्तर से लेकर हर स्तर तक ( जिसमें बड़ी रैलिया भी शामिल है ), प्रचार के हर माध्यम के जरिए भाजपा की कोशिश जनता के बीच प्रभावी ढंग से अपनी बात रखने की है।
सवाल - उत्तर प्रदेश की जनता के लिए इस बार सबसे बड़ा मुद्दा क्या है ? आपके हिसाब से इस बार प्रदेश के मतदाता क्या सोच कर वोट करने के लिए निकलेंगे ?
जवाब - पूरे उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति जिस तरह से बेहतर हुई है, उसकी वजह से आम आदमी और महिलाएं तक अपने आपको सुरक्षित महसूस करने लगे है। प्रदेश में अपराध पर लगाम लगी है । प्रदेश की जनता ने लंबे समय बाद सुशासन की बयार को बहते देखा है और मुझे लगता है कि राज्य की जनता दोबारा से प्रदेश को कुशासन के अंदर झोंकने का काम बिल्कुल नहीं करना चाहेगी।
सवाल - आपने बेहतर कानून व्यवस्था और सुशासन की बात की । भाजपा के कई नेता किसान हितैषी फैसलों की बात करते हैं तो कई अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का जिक्र भी करते हैं। आपके हिसाब से इनमें से सबसे बड़ा मुद्दा क्या है ? आप किस मुद्दें को प्रमुख्ता से उठा कर जनता के बीच जाएंगे ?
जवाब - पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सोच में एक बड़ा परिवर्तन आ गया है । अब लोग जातिवाद या समाज को बांटने वाले अन्य मुद्दों की बजाय सरकार के कामकाज पर वोट कर रहे हैं। सरकार के अच्छे कामकाज को फिर से दोहराने के लिए वोट कर रहे हैं। भाजपा कानून व्यवस्था की बेहतर स्थिति, सड़कों की बेहतर हालत, बिजली की बेहतर उपलब्धता , सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता , सुशासन से लेकर सरकार की तमाम उपलब्धियों और सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ जनता के बीच जाएगी। जहां तक राम मंदिर निर्माण का सवाल है , विपक्ष हमसे बार-बार तारीख पूछा करता था । हमने उन्हे तारीख भी बता दी है और देश की अस्मिता और गौरव के प्रतीक के तौर पर भव्य राम मंदिर का निर्माण भी हो रहा है। लेकिन यह हमारे लिए चुनावी मुद्दा नहीं है और न ही हमें इस बारे में कुछ कहने की आवश्यकता है।
सवाल - चुनाव को लेकर कांग्रेस भी जोर-शोर से तैयारी कर रही है। राज्य के लगातार दौरे कर रही प्रियंका गांधी किसानों , अल्पसंख्यकों , दलितों और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दें उठाकर आपकी सरकार को घेरने में लगी हुई हैं।
जवाब- पिछले साढ़े चार सालों के दौरान ये न तो सदन में प्रभावी रहे और न ही सड़क पर जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे पर आंदोलन करते दिखाई दिए। साढ़े चार साल तक गायब रहने वाले ये दल अब चुनाव नजदीक आते ही बरसाती मेढ़क की तरह घुमते दिखाई दे रहे हैं। वास्तव में ये अपनी प्रासंगिकता और साथर्कता को खो चुके हैं। इनके पास न नेता है, न नीति है, न दिशा है और न ही ²ष्टि है। यूपी की जनता इन्हे गंभीरता से नहीं ले रही है।
सवाल - आप कानून व्यवस्था को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव तो कह रहे हैं कि यूपी पूरी तरह जंगलराज में बदल गया है जहां अपराधी बेलगाम हो गए हैं, अपराध बढ़ रहे हैं।
जवाब - साढ़े चार साल तक अखिलेश यादव ने जनता को साथ लेकर सड़क पर उतर कर एक भी कार्यक्रम नहीं किया । एसी कमरे में बैठकर राजनीति करते रहे और पांचवे साल जब चुनाव आ गए हैं तो मीडिया में बयानबाजी कर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। जनता सब देख रही है और अब जनता ने उन्हे भी गंभीरता से लेना बंद कर दिया है।
सवाल - उत्तर प्रदेश के चुनाव सह प्रभारी के तौर पर आपको पश्चिम क्षेत्र की विशेष जिम्मेदारी दी गई है। यह कहा जा रहा है कि देश में चल रहे किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर अगर कहीं पड़ेगा तो वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही पड़ेगा। इन 19 जिलों की 71 विधानसभा सीट पर किसान आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ने जा रहा है ?
जवाब- मेरे लिए यह क्षेत्र जाना-पहचाना है। 2007 से लेकर अब तक हर चुनाव में मैने इस क्षेत्र में काम किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश के सह प्रभारी के तौर पर संगठन ने मुझे पश्चिमी क्षेत्र का प्रभार सौंपा था और उस समय हमने इस इलाके की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। जहां तक किसान आंदोलन के प्रभाव का सवाल है , मैं आपको बता दूं कि इस इलाके के जिन 3-4 जिलों में किसान आंदोलन की सक्रियता है वहां के किसान भी देश के प्रति अपने दायित्व को बखूबी समझते हैं। ये किसान कभी नहीं चाहेंगे कि प्रदेश में सपा-बसपा के माध्यम से फिर से अल्पसंख्यकवाद और तुष्टीकरण की राजनीति हो, इसलिए मेरा यह मानना है कि चुनाव के समय पर यहां के किसान भी सबका साथ-सबका विकास की भाजपा की नीति में विश्वास रखते हुए बेहतर सुशासन के लिए कमल के फूल पर ही मुहर लगाएंगे।
सवाल - किसान बेल्ट कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे अखिलेश यादव तो भाजपा को हराने का दावा कर रहे हैं ।
जवाब - अखिलेश यादव के राज में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों ने बहुत कुछ भोगा है। अखिलेश राज में यहां के लोगों ने जिस तरह की परिस्थितियों का सामना किया है, जिस प्रकार के झूठे मुकदमें भोगे हैं, जेलों की यातनाएं झेली हैं, इस क्षेत्र की जनता वो दौर कभी भी भूल नहीं सकती है। इसलिए यहां का वोटर सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद ही अपना वोट देगा। जहां तक राष्ट्रीय लोकदल का सवाल है , उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह नगन्य स्थिति में आ चुका है। रालोद 1-2 सीटों से अधिक पर लड़ाई में कहीं भी नहीं है इसलिए लोग इसे वोट देकर अपने मत को खराब नहीं करेंगे। वास्तव में रालोद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
सवाल - तो प्रदेश में भाजपा का मुकाबला , आखिर है किससे ?
जवाब - ईमानदारी की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में आज भाजपा विपक्षी दलों से इतना आगे है कि कहीं कोई तुलना करना ही बेमानी है। भाजपा का मुकाबला अपने पिछले प्रदर्शन ( 2017 विधान सभा चुनाव ) से है कि पहले से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतकर कैसे आएं ? हमारा मुख्य मुकाबला अपने ही पिछले प्रदर्शन से है। बाकी पार्टियां प्रदेश में दूसरे-तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है।
सवाल - तो इस बार भाजपा कितनी सीटों पर जीतने का लक्ष्य लेकर चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं ?
जवाब - हम तो सभी सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति बनाकर चुनाव में जाते हैं। लेकिन प्रदेश में जनता के मूड और विपक्षी दलों की हालत को देखकर मुझे लग रहा है कि हम 350 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर प्रदेश में दोबारा से सरकार बनाने जा रहे हैं।
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