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चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, अपराधियों के चुनाव लड़ने पर लगे आजीवन रोक

कई नेतागण, सांसद और विधायक है जिसपर अनेकों संगीन मामले दर्ज है लेकिन फिर भी वह राजनीति के शीर्ष पदों पर विराजमान हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी होनी चाहिए।

Updated on: 21 Mar 2017, 12:37 PM

नई दिल्ली:

भारतीय राजनीति में अपराधियों का बोलबाला रहा है। ऐसे कई नेतागण, सांसद और विधायक है जिसपर अनेकों संगीन मामले दर्ज है लेकिन फिर भी वह राजनीति के शीर्ष पदों पर विराजमान हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी होनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि वह निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रतिबद्ध है। चुनाव आयोग का यह भी मानना है कि आपराधिक मामलों में आरोपी नेताओं का ट्रायल एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने बताया कि उसने निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने और लोकतंत्र से अपराधी करण को दूर करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

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बता दें कि यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिए एक जनहित याचिका के संदर्भ आया है। यह पीआईएल भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। हलफनामे में आयोग ने कहा कि चुनाव आयोग सुधार को लेकर उन्होंने विस्तृत प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है।

इनमें अपराधमुक्त राजनीति, रिश्वत को संज्ञेय अपराध बनाना, पेड न्यूज पर पाबंदी और मतदान के 48 घंटे पहले तक विज्ञापनों पर प्रतिबंध आदि हैं। आयोग ने कहा कि अधिकतर सिफारिशों को विधि आयोग ने अपनी 244 और 255वीं रिपोर्ट को अप्रूव कर दिया है। फिलहाल यह केंद्र सरकार के विचाराधीन है।

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वर्तमान प्रावधान के मुताबिक, दोषी पर सजा काटने के छह साल तक ही चुनाव लड़ने पर पाबंदी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि नेताओं से जुड़े मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए। चुनाव आयोग ने कहा कि वह जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों और न्यायपालिका के सदस्यों से जुड़े आपराधिक मामलों का फैसला करने के लिए विशेष अदालत भी बनाने के पक्ष में है।