चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पेपर ट्रेल (VVPAT) के साथ 16 लाख से ज्यादा ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
अपने हलफनामे में आयोग ने ये भी कहा है कि पेपर ट्रेल से लैस इन ईवीएम मशीनों से आम चुनाव प्रक्रिया और भी पारदर्शी होगी। हालांकि गुजरात चुनाव को लेकर आयोग ने कुछ भी नहीं कहा। गुजरात में दिसंबर महीने में चुनाव होने हैं।
ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर आयोग ने कहा कि तकनीकी सुरक्षा फीचर्स के साथ आयोग द्वारा प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदम के कारण मशीन मतदान के लिए फुलप्रूफ है।
इसके निर्माण, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के समय भी इसे सुरक्षित रखा जाता है। ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर आयोग का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों ने आरोप तो लगाए हैं लेकिन इसे लेकर कोई सबूत नहीं दिया है।
दायर हलफनामे में बताया गया है कि खराब मशीनों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं होता है। आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि भारत की ईवीएम मशीनों की तुलना विदेशी मशीनों से नहीं की जा सकती है।
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बता दें कि विदेशों में चुनाव के वक्त जिस ईवीएम का इस्तेमाल होता है वह सभी एक सर्वर से जुड़े होते हैं। सर्वर जो कि इंटरनेट से जुड़ा होता है। इस कारण हैकिंग का खतरा बना रहता है। भारत में कोई भी ईवीएम इंटरनेट से नहीं जुड़ा होता है। यहां की सभी मशीनें ऑफलाइन काम करती है।
चुनाव आयोग ने बताया है कि सबसे पहले VVPAT का उपयोग सबसे पहले 4 सितंबर 2013 को नगालैंड विधानसभा चुनाव हुआ था। अभी तक 266 विधानसभा और 9 संसदीय क्षेत्रों में VVPAT मशीन का प्रयोग किया जा चुका है।
बता दें कि हाल ही संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान आयोग ने 53,500 VVPAT का उपयोग किया था।
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Source : News Nation Bureau