मोदी सरकार को लगा झटका, एक देश-एक चुनाव कराने पर EC ने कहा- 'कोई चांस नहीं'
सभी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने गुरुवार को कहा कि देश में अभी एक साथ चुनाव कराने का कोई चांस नहीं है।
नई दिल्ली:
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की मोदी सरकार की महत्वपूर्ण आकांक्षा पर चुनाव आयोग ने पानी फेर दिया है। सभी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने गुरुवार को कहा कि देश में अभी एक साथ चुनाव कराने का कोई चांस नहीं है। ओ पी रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने की जरूरत है। इससे पहले संभावना जताई जा रही थी कि इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव को अगले साल अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है।
बता दें कि मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल इस साल 15 दिसंबर को खत्म होने जा रही है वहीं छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल अगले साल क्रमश: 5 जनवरी, 7 जनवरी और 20 जनवरी को खत्म होने वाला है।
औरंगाबाद में मीडिया से बातचीत के दौरान लोक सभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के सवाल पर ओ पी रावत ने कहा कि 'कोई चांस नहीं' है।
बता दें कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में आने के बाद लंबे समय से एक देश एक चुनाव कराने की बात करते आ रहे हैं। रावत का यह बयान हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान के उलट भी है जिसमें शाह ने कहा था कि एक साथ चुनाव के लिए एक 'स्वस्थ और खुली बहस' के लिए बुलाया था।
ओ पी रावत ने कहा, 'कानून बनाने में कम से कम एक साल लगेंगे तब जाकर वह लागू हो सकेगा। इस प्रक्रिया में समय लगेगा। जितनी जल्दी संविधान में संशोधन का बिल तैयार होगा, तब हम जानेंगे कि चीजें हो रही है।'
इससे पहले इसी महीने मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा था कि जब भी राज्य विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होगा, आयोग चुनाव कराने की अपनी जिम्मेदारी निभाती रहेगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कुछ राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ाना है तो इसके लिए भी संविधान में संशोधन करने की जरूरत होगी। इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस बल और मतदानकर्मियों की जरूरत होगी।
ओ पी रावत ने कहा कि लोक सभा चुनाव की तय तारीख से पहले चुनाव आयोग को तैयारियों में 14 महीनें लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के पास मात्र 400 कर्मचारियों की क्षमता है लेकिन चुनावों के दौरान 1.11 करोड़ लोगों को तैनात किया जाता है।
और पढ़ें: WhatsApp से लगा सरकार को झटका, मैसेज का स्रोत बताने से किया इंकार
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की असफलता पर एक बार फिर से बोलते हुए रावत ने कहा कि भारत के कई हिस्से में ईवीएम प्रणाली को लेकर सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, 'ईवीएम असफल होने की दर सिर्फ 0.5% से लेकर 0.6% है और मशीन की असफलता का यह औसत स्वीकार्य है।'
राजनीतिक पार्टियों में अलग-अलग राय
बता दें कि लोक सभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर 7-8 जुलाई को विधि आयोग ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें अधिकतर पार्टियों ने इसका विरोध किया था। कुछ विपक्षी पार्टियों ने इस प्रस्ताव को लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा बताया था। जिसमें बीजेपी की सहयोगी पार्टियां भी शामिल थी।
और पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019: साल के अंत तक 100 फीसदी VVPATs मशीनें उपलब्ध होंगी- चुनाव आयोग
वहीं बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और कई पार्टियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन भी किया था। जिसमें समाजवादी पार्टी भी शामिल थी।
हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि एक साथ चुनाव होने से चुनावों पर होने वाले भारी खर्च में हजारों करोड़ रुपये की कटौती हो जाएगी। उन्होंने कहा था कि पूरे साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होने से राज्य और केंद्र दोनों का काम-काज प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से चुनाव के खर्च में भी कमी आएगी।
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Pramanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा